कस्बे में लगी वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति में बदलाव की मांग उठी
उपदेश टाइम्स, हमीरपुर। भरुआ सुमेरपुर कस्बे के पैलानी मार्ग में स्टेशन रोड तिराहा पर लगी वीरांगना लक्ष्मीबाई की मूर्ति को कस्बे के समाजसेवियों, कवियों,साहित्यकारों ने गलत बताते हुए कहा कि यह वीरांगना का अपमान है। मूर्ति के घोड़े की प्रतिमा में बदलाव की मांग करके प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है।
कस्बे के समाजसेवी, कवि साहित्यकारों के मुताबिक वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को जिस घोड़े पर विराजमान किया गया है। उस घोड़े की मूर्ति शांति मुद्रा में है। जबकि वीरगति को प्राप्त होने वाले योद्धाओं के घोड़े के दोनों आगे के पैर उठे होने चाहिए। घायल होकर वीरगति पाने वाले योद्धा के घोड़े का एक पैर ऊपर की ओर उठा होता है। जबकि कस्बे के पैलानी मार्ग में पार्क में लगे इस घोड़े की मुद्रा इस तरह नहीं है। यह वीरांगना का अपमान है। कस्बे के निवासी डॉ इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इतिहास में कहीं भी रानी लक्ष्मीबाई की इस तरह की मूर्ति नहीं है। देश में जहां भी वीरांगना लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाई गई है उस घोड़े के दोनों पैर आगे के उठे हुए हैं। यही वीरगति का नमूना है। उन्होंने महान योद्धा राणा प्रताप के घोड़े चेतक का भी उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस पर गौर करके मूर्ति के घोड़े की मुद्रा में बदलाव करना चाहिए।

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