उपदेश टाइम्स, हमीरपुर। छठ पर्व का शुभारंभ मंगलवार को नहाए खाए के साथ शुरू हुआ। इस पर्व में व्रती शुद्धता और पवित्रता का बारीकी के साथ ध्यान रखते हैं। चार दिवसीय यह पर्व घर परिवार की खुशहाली के लिए मनाया जाता है। छठ की शाम डूबते सूर्य को तथा सप्तमी को उगते सूर्य को अर्ध देकर व्रत का पारण होता है। कस्बे में यह पर्व तपोभूमि के गायत्री गंगा घाट में प्रति वर्ष मनाया जाता है।
कस्बे में करीब 300 से ज्यादा पूर्वांचल व बिहार के परिवार निवास करते हैं। छठ पर्व बिहार का मुख्य पर्व है। कस्बे में चार दशक पूर्व में स्थापित हुई उद्योग नगरी के बाद यहां बिहार प्रांत व पूर्वाचल के लोग अस्थाई एवं स्थाई रूप से निवास करने लगे हैं। तभी से यह पर्व कस्बे में प्रति वर्ष मनाया जाता है। बिहार प्रांत के निवासी श्रीगायत्री विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि इस पर्व का शुभारंभ नहाए खाए के साथ होता है। इस व्रत में शुद्धता के साथ पवित्रता का विशेष महत्व है। चार दिवसीय इस पर्व का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। उन्होंने बताया कि व्रत के दौरान कुछ चीज वर्जित होती है। मसलन बाल,दाढ़ी,नाखून की हजामत नहीं कराई जाती है। छठ पूजा से संबंधित किसी भी वस्तु को बिना स्नान किए स्पर्श नहीं किया जाता है। उन्होंने बताया कि व्रती छठ पर्व के चार दिन तक मूली, गाजर,कच्ची हल्दी का प्रयोग नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि 7 नवंबर को व्रती डूबते सूर्य को और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत का पारण करेंगे। उन्होंने बताया कि यह व्रत परिवार की सुख समृद्धि एवं खुशहाली के लिए मनाया जाता है। सुहागिन महिलाओं के साथ पुरुष भी इस व्रत को करते हैं। बिहार प्रांत के निवासी राजन चौबे,मोनू सिंह,दीपक सिंह, संतोष कुमार, मुन्ना सिंह, नवलकिशोर, सुरेंद्र गुप्ता आदि ने बताया कि सभी परिवारों में व्रत की तैयारी शुरू हो चुकी है। पर्व के प्रति सभी में उत्साह है।उधर नगर पंचायत के ईओ दिनेश आर्य ने बताया कि तपोभूमि में पर्व को मनाने के लिए साफ सफाई कराई जा रही है। प्रकाश व्यवस्था के विशेष इंतजाम कराएं जा रहे है।