जुगलबंदी कार्यक्रम में कुसुम के गीतों पर कुमुद ने उकेरे लोक चित्र
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की रसमंच योजना के अंतर्गत लोकरंग फाउण्डेशन की ओर से शनिवार 7 दिसम्बर को अकादमी के वाल्मीकि ऑडिटोरियम में जुगलबंदी का यादगार कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसमें लोकप्रिय गायिका कुसुम वर्मा ने जहां एक से बढ़कर एक पारंपरिक लोकगीत सुनाए वहीं उन गीतों पर आधारित प्रचलित लोक चित्रकारी डॉ. कुमुद सिंह ने की। उत्तर प्रदेश की थाती की धरातल पर कंठस्वरों और कूची की यह जुगलबंदी आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर गई। इस अवसर पर महावर प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इसमें प्रतिभागियों ने न केवल पैरों में आलता लगाकर प्रतिभाग किया बल्कि महावर से सम्बंधित दिलचस्प जानकारियां भी दी। सभी विजेताओं को इस समारोह के अंत में पुरस्कृत भी किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में एसआर ग्रुप के चेयरमैन और सीतापुर के एमएलसी पवन सिंह चौहान और विशिष्ट अतिथि के रूप में दूरदर्शन उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम प्रमुख आत्म प्रकाश मिश्रा को आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर फाउण्डेशन के अध्यक्ष अतुल कुमार सिंह और अनिल मिश्रा सहित कई गणमान्य हस्तियां उपस्थित रहीं।
जुगलबंदी कार्यक्रम की शुरुआत परंपरा के अनुसार देवी गीत से हुई। इसमें कुसुम वर्मा ने “अमुआ कै डाढ़ि मइया सुगना के खोतवा कि कइसे डारी ना” सुनाकर प्रशंसा हासिल की। इस क्रम में उन्होंने माड़ौ गीत “माड़ौ तो बड़ा सुन्दर नाहीं जान्यों कौने गुना” सुनाया। कुसुम वर्मा के इस लोकगीत पर डॉ. कुमुद सिंह ने माड़ौ का लोकचित्र उकेरा तो लोग देखते ही रह गये। विवाह गीत “गइया का गोबरा मंगावहुं चारिऊ ओरिया लिपावहुं गजमोती चौक पुरावहुं माणिक दियना जरावहुं”, कोहबर गीत “मचियहि बइठी हैं पुरखिन रानी”, विदाई गीत “बाबा निमिया के पेड़ जिनि काटेऊ” और माड़ौ हिलाई गीत “मण्डप हिलाई समधी मांगैं समधिनिया मंडवे में भीड़ भई भारी बड़ा रंगदार समधी” सुनाकर आयोजन को परवान चढ़ाया। इसमें ऑर्गन पर अरविंद कुमार वर्मा, ढोलक पर दिलीप त्रिवेदी और आक्टोपैड पर प्रमोद सिंह ने शानदार संगत देकर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। आलता प्रतियोगिता में रेखा मिश्रा, रागिनी अग्रवाल सहित विभिन्न उम्र की युवतियों और महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और पुरस्कार जीते। अंत में कुसुम वर्मा के जन्मदिन के अवसर पर केक काट कर शुभकांमनाएं भी दी गईं।

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