नायक राजा सिंह, वीर चक्र (मरणोपरान्त)

जयंती पर विशेष
03 दिसंबर 1971 का दिन था, वक्त था शाम को 5 बजकर 40 मिनट। पाकिस्तान की एयरफोर्स ने हमारे देश की पश्चिमी सीमा पर स्थित 11 वायुसेना अड्डों पर हमला बोल दिया। उसी शाम आल इंडिया रेडियो पर राष्ट्र के नाम सन्देश में प्रधान मंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने देश की जनता को इस बात की जानकारी दी और युद्ध की घोषणा कर दी। उसी रात भारतीय वायुसेना ने जवाबी हवाई कार्रवाई भी शुरू कर दी और सेना की टुकड़ियों ने मोर्चा संभाल लिया। इसके साथ ही 1971 के भारत-पाक युद्ध का आधिकारिक आरम्भ हो गया।
इस युद्ध में 21 राजपूत रेजिमेंट पूर्वी क्षेत्र में मोर्चा संभाल रही थी, उस समय यूनिट की कमान लेफ्टिनेंट कर्नल ए एस अहलावत के हाथों में थी। दोनों देशों के बीच घनघोर युद्ध चल रहा था । हमारी सेना दुश्मन के हौसले पश्त करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी । चार्ली कंपनी की कमान मेजर एम एस मलिक के हाथों में थी और नायक राजा सिंह चार्ली कंपनी के एक सेक्शन के सेक्शन कमांडर के रूप में अपने सेक्शन का नेतृत्व कर रहे थे। उनकी कंपनी द्वारा उनके सेक्शन को पाकिस्तान की एक पोस्ट से पाकिस्तानी सैनिकों को मार भगाने की जिम्मेदारी दी गयी थी।
21 राजपूत रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के इस सेक्शन ने जब आगे बढ़ना शुरु किया तो इसकी भनक पाकिस्तानी सैनिकों को लग गई और उन्होंने स्वचालित हथियारों और ग्रेनेड से सेक्शन पर हमला बोल दिया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, अपने जान की बाजी लगाकर नायक राजा सिंह अपने सेक्शन के सैनिकों के साथ दुश्मन पर टूट पड़े और दुश्मन को नेस्तानाबूद करने लगे। इसी बीच उनके सिर में दुश्मन की गोली लग गयी। अपनी चोट की परवाह न करते हुए नायक राजा सिंह अपने सेक्शन के सैनिकों का नेतृत्व करते हुए हौसला बढ़ाते रहे और आगे बढ़ते रहे । उन्होंने दुश्मन के बंकर में ग्रेनेड डाल दिया, जिससे बंकर ध्वस्त हो गया। ज्यादा रक्तस्राव होने के कारण भारत माँ का यह अमर सपूत चिर निद्रा में लीं हो गया
नायक राजा सिंह ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके इस साहस और वीरता के लिए उन्हें मरणोपरान्त वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
नायक राजा सिंह का जन्म 08 सितम्बर 1942 को जनपद लखनऊ के गांव सरसवन पहाड़पुर में श्रीमती लक्ष्मी देवी तथा श्री गनपत सिंह के यहाँ हुआ था। नायक राजा सिंह का विवाह श्रीमती चंद्राना देवी के साथ हुआ। नायक राजा सिंह का रुझान बचपन से सेना में जाने का था। वे 09 दिसम्बर 1961 को सेना की राजपूत रेजिमेंट में भर्ती हुए और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वह 21 राजपूत रेजिमेंट में तैनात हुए।
नायक राजा सिंह ने अपनी वीरता और कर्तव्य परायणता के बल पर देश की रक्षा में अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि नायक राजा सिंह के सर्वोच्च बलिदान को भूल चुके हैं, इनके नाम पर इनके गांव में एक ईंट तक नहीं लगायी गयी है। इनके गांव की नयी पीढ़ी नायक राजा सिंह की वीरता और बलिदान से एकदम अनभिज्ञ है। इनके परिजनों का कहना है कि सरकार नायक राजा सिंह के नाम पर गांव की सड़क का नामकरण करवा दे और उसी सड़क पर एक शौर्य द्वार बनवा दे ताकि लोगों के जेहन में उनकी वीरता और बलिदान की यादें बनी रहें।
इनके साहस और वीरता को प्रेरणा के रूप में याद करने के लिए राजपूत रेजिमेंटल सेंटर, फतेहगढ़ में इनकी प्रतिमा लगायी गयी है।
– हरी राम यादव
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