नाक बंद, नाक से पानी, छींक आना, कहीं ये साइनसाइटिस तो नहीं? डॉ रुप कुमार बनर्जी होमियोपैथिक चिकित्सक

सर्दियों के मौसम में अथवा किसी भी मौसम में हमने आपने अपने परिवार अथवा अपने मित्र समाज में किसी ना किसी को बराबर छींकते हुए देखा होगा। हो सकता है इस बीमारी से हम या आप ही पीड़ित हो। बराबर नाक बंद हो जाना, नाक से पानी आना, छींकते रहना जिसे कोशिश करने पर भी नहीं रोका जा सके, किसी भी व्यक्ति को परेशान कर देने के लिए काफी है। इस बीमारी का नाम है “साइनोसाइटिस”। साइनोसाइटिस नाक में होने वाली एक गंभीर समस्या है।
जब किसी व्यक्ति के नाक की हड्डी बढ़ जाती है और उसको जुखाम की समस्या रहती है, तो उस स्थिति को साइनस या साइनसाइटिस बीमारी कहते हैं। यह बीमारी मामूली सी सर्दी-जुकाम के रूप में शुरू होकर धीरे धीरे बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण के रूप में विकसित हो जाती है। साइनस से पीड़ित व्यक्ति को ठंडी हवा, धूल और धुएं के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इसके अलावा साइनस का दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार के साइनसाइटिस की समस्या है।
साइनसाइटिस के लक्षण :- सिर में दर्द और भारीपन , आवाज में बदलाव , बुखार और बेचैनी , आंखों के ठीक ऊपर दर्द , दांतों में दर्द , सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर होना , बाल सफेद होना , नाक से पीला पदार्थ गिरने की शिकायत , बराबर छींक आना और आंख या नाक अथवा दोनों से पानी गिरना।
साइनस के कारण :- 1- एलर्जी का होना- यह नाक की बीमारी मुख्य रूप से उस व्यक्ति को हो सकती है,जिन्हें किसी तरह की एलर्जी होती है। 2- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना- यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है, तो उसे साइनस की समस्या हो सकती है।
3- नाक की असामान्य संरचना का होना- नाक की यह समस्या उस स्थिति में भी हो सकती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की संरचना असामान्य होती है।
4- फैमली हिस्ट्री का होना – किसी भी अन्य समस्या की तरह साइनस भी फैमली हिस्ट्री की वजह से हो सकती है। अन्य शब्दों में, यदि किसी शख्स के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति साइनस है, तो उसे यह नाक की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
5- आसपास की जगहों को साफ रखें :- आर्द्रता का गलत प्रभाव श्वसन संक्रमण और एलर्जी को बढ़ा सकता है। कमरे में अत्यधिक या कम आर्द्रता के कारण समस्या खड़ी हो सकती हैं।
6- योग प्राणायम :- साइनस ठीक रखने में अनुलोम विलोम प्राणायम बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा भ्रस्तिका कपालभाती आदि आसन साइनस के लिए रामबाण हैं।
7- जागरूकता :- किसी भी समस्या का हल तभी निकाल सकते हैं, जब आपको उससे संबंधित जानकारी हो। साइनस की समस्या से बचने का सबसे कारगर तरीका जागरूकता है। इसलिए, बताए गए साइनस के लक्षणों को ठीक से समझ लें, ताकि मुसीबत के समय चिकित्सक के पास जाने से पहले अपना इलाज स्वयं कर सकें।
अपने चिकित्सक से कब परामर्श लेना चाहिए ? :- काफी दिनों से चल रहे तेज बुखार, आंखों के आसपास त्वचा का लाल पड़ जाना और सूजन, सिर में बहुत अधिक दर्द महूसस करना, नींद नहीं आना बराबर छींक आना और दवा लेने पर भी ठीक न होना, लगातार उलझन महसूस करना, एक चीज दो बार दिखाई देना या देखने में अन्य परेशानी, गर्दन में अकड़न लक्षण अगर महसूस करते हैं तो अपने चिकित्सक से तुरंत सलाह लें। यह लक्षण गंभीर संक्रमण के संकेत हो सकते हैं।
प्रस्तुतकर्ता:- विनय कुमार मिश्र