मां शैलपुत्री की भक्ति से समस्त संकटों से मिलता है छुटकारा :पं. रमेश तिवारी
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन देवी धाम बसौली मंदिर के चौखट पर श्रद्धालुओं ने टेका मत्था
सुईथाकला जौनपुर।जनपद जौनपुर के सीमांत क्षेत्र के पश्चिमांचल में स्थित सुदूर तक आम जनमानस की श्रद्धा ,भक्ति और आस्था का केंद्र देवी धाम बसौली के शीतला माता के मंदिर में माता रानी के भक्तों ने चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन चौखट पर मत्था टेककर दर्शन एवं पूजा -अर्चना करके आशीर्वाद लिया। यह शक्तिपीठ बड़ी किंवदन्तियों और रहस्यों से भरा हुआ है।मंदिर परिसर में जगह-जगह पूजा सामग्री की दुकानें सजी हुई थीं।प्रथम दिन श्रद्धालुओं के हृदय में शक्ति स्वरूपिणी मां शीतला के प्रति एक विशेष उल्लास और चेहरों पर भक्ति भाव की झलक स्पष्ट रूप से दिखी।मंदिर के पुजारी पं.रमेश तिवारी ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि का प्रारंभ हो जाता है। पहला दिन मां शैलपुत्रि का होता है। हिमालय के घर में जन्म लेने के कारण माँ को शैलपुत्री भी कहा जाता है।शास्त्रों में उल्लेख है कि मां शैलपुत्री चंद्रमा की प्रतीक हैं इनकी आराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है ।उन्होंने बताया कि मां की भक्ति और पूजा पाठ करने से समस्त संकटों और दुखों से छुटकारा मिलता है।चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को देर रात 11:55 बजे शुरू होगी जो 9 अप्रैल की रात्रि 9:44 पर समाप्त होगी। मां के चरणों में पूर्ण रूप से समर्पित जो भी भक्त अपनी मनोकामना को लेकर इनकी शरण में आता है उनकी मनोकामनाएं मां की कृपा से पूर्ण होती हैं। अधिवक्ता एवं समाजसेवी उच्च न्यायालय धर्मेंद्र कुमार सिंह पिंटू ने बताया कि देवी धाम बसौली शक्तिपीठ के प्रति लोगों की आस्था जुडी हुई है।कोई भी नया काम शुरू करने से पहले लोग यहां कढ़ाई चढ़ाते हैं।9 दिन तक लोगों की आस्था, भक्ति ,श्रद्धा और विश्वास का संगम लगा रहता है ।बृहद मेला का आयोजन यहां की विशेष पहचान है। मां के चरणों में नतमस्तक होने से समस्त प्रकार की बाधाएं समाप्त होती हैं।