अमेरिका और नाटो की हरकतों से विश्व युद्ध की आशंका के बादल
युक्रेन को खुल कर मदद से रूस ने दी परमाणु युद्ध की कड़ी चेतावनी |
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति जो बायडेन जाते-जाते भी यूक्रेन को सामरिक तथा आर्थिक मदद का पैकेज देकर रूस के खिलाफ विश्व युद्ध की चिंगारी को भड़काकर जा रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद भी रूस यूक्रेन और इसराइल हमास युद्ध रुकने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। रूस यूक्रेन युद्ध को 2 वर्ष से अधिक समय हो चुका है वहीं इसराइल हमास और फिलिस्तीन युद्ध को भी एक वर्ष से अधिक हो चुका है। अमेरिका यूरोपीय देश यूक्रेन की आर्थिक तथा सामरिक मदद करके विश्व युद्ध की आशंका को बने हुए हैं। इसके अलावा भी यह देश यूक्रेन को रूस के खिलाफ लगातार भड़काते आ रहे हैं और यही वजह है की विश्व युद्ध की भीषण विभीषिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंथोनी ब्लिंकन ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सभा में स्पष्ट रूप से कहा है कि इस सभा में सबको विदित है कि तो कुख्यात आतंकवादी संगठन हमास ,हिजबुल्ला और फलस्तीन इस्लामिक जिहाद को कई वर्षों से ईरान प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से आर्थिक सामरिक सहायता कर इजराइल का विरोध करवाता आ रहा है. ब्लिंकन ने कहा हमास के इसराइल पर हमले में अमेरिका पूरी तरह से इसराइल के साथ खड़ा है और वह किसी अन्य देश के हमले से इजरायल की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है हमास का आक्रमण इजरायल की प्रभु सत्ता को चुनौती देने वाला है इसलिए इसराइल को हमास पर आक्रमण करने का पूरा-पूरा वैधानिक हक है इजरायल को अपनी जनता तथा अपनी भूमि की रक्षा करने का पूरा अधिकार है इसराइल अपना कर्तव्य निभा रहा हैl लिंकन ने स्पष्ट कहा है यदि ईरान, जॉर्डन, सीरिया या लेबनान अमेरिकी सैनिकों पर हमला करेगा तो उसका तुरंत माकूल जवाब दिया जाएगाl इधर ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह खुमैनी ने कहा कि गाजा पट्टी में निर्दोष नागरिकों तथा बच्चों महिलाओं की हत्या का सारा दोष अमेरिका प्रशासन को जाता है जिसने इसराइल को गाजा पट्टी पर निर्दोष नागरिकों पर आक्रमण करने की खुली छूट देकर रखी है और यदि अमेरिका इस युद्ध में शामिल होता है तो खाड़ी के अनेक राष्ट्र शामिल होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी अमेरिका पर होगी। यह बात पूरी दुनिया को मालूम है कि हमास के पीछे ईरान और मिडिल ईस्ट के कई देश शामिल हैं। और ईरान के पीछे ड्रैगन तथा रूस का खुला समर्थन है। चीन और रूस ने फिलिस्तीन तथा हमास को अपने समर्थन का ऐलान किया है. रूस चाहता है कि अमेरिका का ध्यान रूस यूक्रेन युद्ध से हट जाए और वह यूक्रेन को पूरी तरह नष्ट कर अपने देश की सीमा में शामिल कर ले। इसी तरह की चाहत चीन ने भी पाल कर रखी है वह ताइवान के मामले में अमेरिकी हस्तक्षेप से परेशान है और वह चाहता है कि अमेरिका का ध्यान इसराइल हमास युद्ध में लगा रहे और वह इसी दौरान आक्रमण करके ताइवान को अपनी प्रभु सत्ता में शामिल कर लेl चीन और रूस में खुले तौर पर ईरान को भड़काकर हमास हिज्बुल्लाह और फिलिस्तीन इस्लामी जिहाद को सहायता करने तथा आक्रमण करने की इजाजत दे दी थी तब जाकर ईरान ने हमास को सीधे-सीधे इसराइल पर आक्रमण करने का निर्देश भी दिया हैl 7 अक्टूबर 23 को हमास के आक्रमण से लगभग 1200 से 1500 इसराइली नागरिक सैन्य अधिकारी बच्चे तथा स्त्रियों की सरेआम हत्या कर दी गई। जवाब में इजरायल ने फिलिस्तीन के गाजा पट्टी पर हमला कर हमास के फ्रंटलाइन आतंकवादियों को खत्म कर दिया है कॉलेटरल डैमेज के रूप में वहां के नागरिक तथा बच्चों एवं स्त्रियां भी मौत की नींद सो चुके हैंl हमास इसराइल लड़ाई में नया मोड़ तब आया जब गाजा के एक अस्पताल में बम गिरकर 500 लोगों की हत्या कर दी गई और इसका सारा ठीकरा इसराइल के सर फोड़ दिया गया है इसराइल ने इस बात से साफ इनकार किया है और कहा है कि इसके पीछे खुद हमास एवं फिलिस्तीन इस्लामी जिहाद है जिसने गाजा के इस अस्पताल में हमला कर इसराइल के खिलाफ एक नया षड्यंत्र रचा है। इस हमले से क्रुद्ध होकर खाड़ी देशों के सभी मुस्लिम राष्ट्र जिनकी संख्या लगभग 57 है सब एक हो गए हैं और इजरायल के साथ लगभग 87 देश समर्थन में जुड़ गए हैं जिसमें प्रमुख तौर पर अमेरिका ,ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया,कनाडा एवं अन्य देश जिसमें भारत भी शामिल है का इसराइल को समर्थन है। अब मुख्य मुद्दा यह है कि हमास द्वारा 200 नागरिकों को बंधक बना लिया है जिनको वह मुक्त करने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा है इजराइल का लगातार आक्रमण कर यह दबाव है कि पहले वह बंधकों को इसराइल के हवाले करें फिर इसराइल अपना आक्रमण रोकेगा।अब इजरायल की थल सेना भी आक्रमण करने पूरी तरह सक्षम एवं तैयार है ऐसी स्थिति में पूरी गाजा पट्टी संपूर्ण तबाह हो जाएगी और लगभग 20 लाख फिलिस्तीन निवासी नागरिक शरणार्थी बन चुके और बेघर भी हो चुके हैं। ईरान ने हमास को इसराइल पर आक्रमण के आदेश देने के समय तक यह नहीं सोचा था की स्थिति यहां तक बिगड़ जाएगी। चीन रूस जरूर ईरान के साथ हैं पर यह जरूरी नहीं है कि इसराइल और हमास की युद्ध से पैदा होने वाले विश्व युद्ध में वे ईरान और खाड़ी देशों का कितना साथ दे पाएंगे। भारत को भी हमास इजरायल युद्ध से चौकन्ना रहने की आवश्यकता होगी क्योंकि हमारा पड़ोसी पाकिस्तान भी हमास जैसे आतंकवादियों को बना देने का कई वर्षों से मुजरिम है और वह कभी भी आतंकवादियों के माध्यम से भारत में हमला कर सकता है तथा भारत को अपनी सीमा पर चौकसी बढ़ा देना चाहिए। इसके अलावा भारत ने अपनी नीति स्पष्ट करके रखी है, उसने हमास के आतंकवादियों का विरोध किया है पर फिलिस्तीन देश का वह कई वर्षों से समर्थन करता आया है और 38 टन मदद की रसद तथा दवाइयां उसने गाजा पट्टी पर भिजवाई भी है। भारत का दृष्टिकोण मानवतावादी है। उसने हमास का विरोध इसराइल पर आक्रमण करने के लिए किया है इसीलिए उसने इसराइल का समर्थन किया पर अब इजरायल के गाजा पट्टी पर निर्दोष लोगों के मारे जाने का विरोध भी किया है। अरब खाड़ी के कई देश भारत से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वह जॉर्डन,लेबनान, मिश्र, ईरान ,इराक और इजरायल, अमेरिका ,ब्रिटेन के नेताओं से चर्चा कर युद्ध विराम पर प्रभावी कदम उठाये। सबकी नजर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर है क्योंकि नरेंद्र मोदी के संबद्ध सभी देश के राष्ट्र प्रमुखों से मधुर है एवं भारत की नीति ही शांति संदेश देने की रही है। ऐसे में भारत एक प्रमुख शांति दूत के रूप में वैश्विक भूमिका निभा सकता है जो विश्व युद्ध रोकने में काफी कारगर होगी।
संजीव ठाकुर

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