जो बाइडेन विश्व युद्ध की आशंका में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं ?
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बनते ही डेमोक्रेट पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के लिए आने वाले समय मे कांटे बोने और परेशानी पैदा करने के काम को अंजाम देने में लग गए हैं। उन्होंने रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को रूस के विरुद्ध फास्ट बैलेस्टिक मिसाइल्स इस्तेमाल करने के लिए एक समझौता कर उसे बड़ी मात्रा में मिसाइल की आपूर्ति भी कर दी है जिसके इस्तेमाल से दूरगामी क्षेत्र में भारी जान माल का नुकसान होने की संभावना बनती है और इसका इस्तेमाल यूक्रेन ने रूस के क्षेत्र में करना भी शुरू कर दिया और इसके फलस्वरुप रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्पष्ट रूप से घोषणा कर दी है कि वह अमेरिका की इस चाल को अच्छे से समझते हैं और यूक्रेन यदि इन मिसाइल्स का इस्तेमाल करता है तो वह परमाणु बम का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा विश्व युद्ध की संभावना को रोकने की तो बात दूर उसे और भड़काने का प्रयास करने की कोशिश कर रहे हैं। इधर डोनाल्ड ट्रंप के जीतने और प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी के उनके साथ अच्छे संबंधों के चलते भारत की आर्थिक स्थिति को अस्थिर करने एवं भारत सरकार को कमजोर करने के लिए अमेरिका के व्यापारी जॉर्ज सिरोस के माध्यम से भारत के बड़े व्यापारी अदानी के विरुद्ध अमेरिका की संघीय अदालत में मुकदमा चलवा कर उसके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट भी जारी करवा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के भारत विरोधी व्यापारी जॉर्ज सीरोस के के व्यापारी पुत्र के संबंध संघीय अदालत के जज से मधुर संबंध पूर्व से ही स्थापित है और भारत तथा भारत के प्रधानमंत्री एवं अदानी को लक्ष्य रखकर षड्यंत्र रचा गया है जिससे प्रधानमंत्री मोदी की छवि को धुमिल किया जा सके। पूर्व राष्ट्रपति जो बाईडेन अब भारत विरोधी हो चुके हैं और उनकी पार्टी की हार का एक बड़ा कारण प्रवासी भारतीयों को भी मानते हैं इन परिस्थितियों में इजराइल फिलिस्तीन युद्ध और रूस यूक्रेन युद्ध में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति आज में घी डालने का काम कर रहे हैं। जबकि डोनाल्ड ट्रंप कमर्शियल सोच वाले व्यक्ति हैं और विश्व युद्ध की किसी भी संभावना पर वे रोक लगाने का प्रयास करेंगे।
आज पूरा वैश्विक परिदृश्य और पृथ्वी परमाणु युद्ध के ज्वालामुखी पर बैठी हुई है ।परमाणु संपन्न देशों के तमाम शासक और हुक्मरान अपनी राजनैतिक आकांक्षाएं, मंसूबे और सनक को पूरा करने के लिए एक दूसरे के रक्त के प्यासे बने हुए हैंl परमाणु संपन्न देशों में चीन ,रूस और नॉर्थ कोरिया ऐसे देश हैं जिनकी बागडोर सनकी तानाशाह प्रशासकों के हाथों में है और ये देश अपनी विस्तार वादी महत्वाकांक्षा और सनक के चलते परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगेl इतिहास गवाह है की सनकी प्रशासकों से हमेशा मानवता और शांति को युद्ध और हिंसा का खतरा बना रहता आया है। अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में युद्ध की सनक में परमाणु बम से हमला कर लाखों लोगों को मौत के मुंह में भेज दिया था इसके अलावा परमाणु हथियारों के उपयोग से पैदा हुए विकरण से आज भी जापान में बच्चों पर अप्राकृतिक प्रभाव दिखाई देतें हैl इधर हम यदि उत्तर कोरिया के सनकी शासक किम योंग की बात करें तो वर्ष 2022 की शुरुआत के बाद से उत्तर कोरिया ने 100 से अधिक हथियारों के परीक्षण किए हैं विशेष तौर पर कुछ अमेरिकी मुख्य भूमि और उनके खास सामरिक सहयोगी दक्षिण कोरिया और जापान पर हमला करने के लिए डिजाइन की हुई परमाणु मिसाइल भी शामिल हैं। उत्तर कोरिया अमेरिका को लक्ष्य बनाकर क्रूज मिसाइल का प्रक्षेपण भी करता आ रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान भारी तबाही का मंजर तो सामने आ ही गया है इसके अलावा यूक्रेन की अमेरिकी तथा नाटो देशों की मदद से नाराज होकर रूस स्पष्ट तौर पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की सार्वजनिक धमकी कई बार दे चुका है,उल्लेखनीय है कि रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को जितना जान माल का नुकसान हुआ है उसके बराबर भी रूस में सामरिक हथियारों और सैनिकों की जाने गई हैं।रूस को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था की यूक्रेन इतने दिन तक युद्ध को खींच सकता है। इन परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप और वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कभी भी अपनी सनक के चलते परमाणु बमों से हमला भी कर सकता है। चीन और ताइवान विवाद में भी चीन के तानाशाह सी जिनपिंग अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए और अमेरिका के परोक्ष रूप से ताइवान की मदद के कारण नाराजगी के चलते ताइवान पर कभी भी हमला कर सकता है। स्पष्ट है कि रूस चीन और उत्तर कोरिया तीनों परमाणु संपन्न देश अमेरिका के सबसे बड़े और कट्टर दुश्मन नई परिस्थितियों में बन चुके हैं। और यह भी खुला और सर्व विदित तथ्य है अमेरिका का राष्ट्रपति वहां की जनता तथा राजनीतिक पार्टियों के दबाव में विश्व का सुप्रीमो बने रहने के चलते युद्ध मेनिया पर सवार रहता है, विश्व में अमेरिका को सर्वशक्तिमान बनाए रखने के चलते अमेरिका को चीन रूस और उत्तर कोरिया फूटी आंखों नहीं अच्छे लगते हैं। कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी के अनुसार अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया की सेना अपने वार्षिक सैन्य अभ्यास की ओर अग्रसर होकर लगातार समुद्र तथा उत्तर कोरिया की सीमा पर चक्कर लगा रही है। उत्तर कोरिया इसे अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया के हमले के पूर्वाभ्यास की तरह आंकलन कर रहा है । उधर अमेरिका जापान और दक्षिण कोरिया अपने त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु एवं मिसाइलों का मुकाबला करने हेतु संयुक्त रुप से बैलेस्टिक मिसाइल निर्माण तथा प्रयोग के सहयोग के लिए सहमति दे चुके हैं।
इन तीनों देशों की संयुक्त तैयारी को देखते हुए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने रणनीतिक क्रूज मिसाइल के प्रायोगिक परीक्षण का निरीक्षण भी किया है।
अमेरिका तथा पश्चिमी देश हर उस देश का साथ देने को तैयार है जो मूल रूप से चीन, उत्तर कोरिया और रूस का विरोध करते हैं। अमेरिका में चूंकि वर्ष 24 में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं ऐसे में वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाइडन को अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने के लिए और चुनाव जीतने के लिए एक बहुत बड़े मुद्दे की तलाश जरूर होगी और इसके चलते वह अपनी राजनीतिक साख को बचाने के लिए किसी भी देश से अपनी बादशाहत बचाने के लिए युद्ध कर सकते हैं और जाहिर है कि उनके किसी भी युद्ध में ब्रिटेन, फ्रांस ,आस्ट्रेलिया, इजरायल आंख मूंदकर साथ देने को तैयार होंगे। इधर भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही चीन से परंपरागत दुश्मनी चली आ रही है दूसरी तरफ भारत रूस का अभिन्न मित्र भी है भारत परंपरागत रूप से रूस का समर्थन करते आया है या अलग बात है कि अमेरिका से उसके संबंध पिछले 10 सालों से काफी मधुर हो गए हैं और वह सदैव शांति का पक्षधर रहा है।
ऐसे मैं नवीन परिस्थितियों में रूस यूक्रेन युद्ध चीन ताइवान विवाद और उत्तर कोरिया की दक्षिण कोरिया के ऊपर अनावश्यक दादागिरी और अमेरिकी तथा नैटो देशों का खुलकर चीन रूस तथा उत्तर कोरिया के लिए विरोध पूरे विश्व में परमाणु हेतु की पूरी-पूरी पृष्ठभूमि तथा प्रस्तावना तैयार कर चुके हैं और यह भी संभावना होगी कि पाकिस्तान तथा खाड़ी के देश भी ऐसी परिस्थितियों में किसी भी संभावित विश्वयुद्ध में शामिल हो सकते हैं और यदि विश्व युद्ध होता है तो यह मानवता तथा पृथ्वी के लिए बड़ा ही विनाशक होगा हम सिर्फ कामना कर सकते हैं की युद्ध नहीं हर तरफ शांति ही शांति हो।
संजीव ठाकुर

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