ना हिले 370 का पत्ता

देखों आज कुर्सी का लालच कहाँ ले आया,
पद लोभी निर्दलीय उपमुख्यमंत्री कहलाया।
क्यों नहीं तैरता वो दौर तेरी आंखों के सामने,
वे कश्मीरी पंडित घर में लगे थे दिल थामने!
क्यों न पसीजा दिल तब तक आमने-सामने।
देखों आज कुर्सी का लालच कहाँ ले आया,
पद लोभी निर्दलीय उपमुख्यमंत्री कहलाया।
विधानसभा में धारा 370 बहाली का प्रस्ताव,
आप विरोध नहीं कर सकते थे हमें बताओ!
अब ये हो ही नहीं सकता उमर को दिखाओ।
देखों आज कुर्सी का लालच कहाँ ले आया,
पद लोभी निर्दलीय उपमुख्यमंत्री कहलाया।
मत भूलो कश्मीर, हिंदुस्तान का अभिन्न अंग,
गद्दारी की ये भाषा और पाकपरस्ती का रंग!
धरती के स्वर्ग को भी अब तुम न करो बदरंग।
देखों आज कुर्सी का लालच कहाँ ले आया,
पद लोभी निर्दलीय उपमुख्यमंत्री कहलाया।
तुम्हें फिक्र अवाम के जानमाल की रक्षा हो,
सैनिक व निर्दोष नागरिकों के फरिश्ता बनो!
आती-जाती हैं सत्ता ना हिले 370 का पत्ता।
संजय एम. तराणेकर