उपदेश टाइम्स कानपुर
अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा एवं विश्वकर्मा बिग्रेड कानपुर द्वारा आयोजित आदि शिल्पाचार्य भगवान विश्वकर्मा जी का पूजन हवन एवं भंडारा ग्राम बहेड़ा स्थापित विश्वकर्मा मंदिर पर एवं विश्वकर्मा बिग्रेड द्वारा पी एस पैलेस रामगोपाल चौराहा पर बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। शोभा यात्रा ग्राम बहेड़ा पूजन स्थल से भौती बाईपास होते हुए रामगोपाल चौराहा बसंत पेट्रोल पंप शास्त्री चौक विजयनगर फजलगंज जरीब चौकी होते हुए विश्वकर्मा वाटिका पी रोड में जाकर समापन हुआ।
प्रत्येक वर्ष के 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा जी की पूजन दिवस बड़े धूमधाम से राष्ट्रीय स्तर पर मनाई जाती है। इस दिन शिल्प कला एवं निर्माण से जुड़े हुए शिल्पकार कामगार एवं कलाकार जगतगुरु भगवान विश्वकर्मा जी के चरणों में नतमस्तक होते हैं। और कला एवं निर्माण के क्षेत्र में उन्हीं की भांति पारंगत होने की कामना करते हैं। अगर विश्वकर्मा नहीं होते तो यह विश्व नहीं होता। जहां भगवान विश्वकर्मा है वहीं विश्व है। भगवान विश्वकर्मा का अर्थ ही विश्व का निर्माण करने वाला है। भगवान विश्वकर्मा को विश्वकर्मा विश्व शिल्पी जगतगुरु देव शिल्पी प्रजापति विभिन्न नाम से जाना जाता है। कुरान में मिले प्रसंग से के अनुसार भगवान विश्वकर्मा कन्या संक्रांति अश्वनी की अंगिरा कल में अवतरित हुए थे। इनकी माता का नाम भुवना एवं पिता अष्टम ऋषि प्रभास थे। भगवान विश्वकर्मा जी के दादा धर्म ऋषि इनके मामा देव गुरु बृहस्पति और नाना अंगिरा ऋषि थे। जब भी कठिन से कठिन निर्माण की आवश्यकता हुई तो देवी देवताओं ने भगवान विश्वकर्मा जी की आराधना की और विश्व शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने उनके इच्छा अनुसार रचना की। राक्षसों से युद्ध के लिए देवी देवताओं के अस्त्र-शास्त्र के निर्माण की बात हो या उनके यात्रा हेतु पुस्तक विमान बनाने का सवाल हो या फिर उनके लिए भव्य महल का निर्माण का प्रश्न हो सबों के निर्माता भगवान विश्वकर्मा ही थे। भगवान शंकर के त्रिशूल इंद्र को वज्र विष्णु को चक्र सुदर्शन कुबेर को डंडा तथा महादेवी दुर्गा को अस्त्र-शास्त्र एवं कवच भगवान विश्वकर्मा ने ही प्रदान किया था। भगवान विश्वकर्मा ने मयूर गरुड़ का मांग शांत कुंभक चंद्रकांत सूर्यकांत नमक विमान की भी रचना की। कुछ लोग भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के कारीगर तथा कारीगरों के देवता मानते हैं और उन्हें संकुचित दायरा मैं बांधना चाहते हैं। मगर भगवान विश्वकर्मा की सीमा असीमित है उन्हें किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता। क्योंकि भगवान विश्वकर्मा को किसी ने निर्माण के लिए आदेश नहीं दिया बल्कि अपने मन वांछित निर्माण के लिए आराधना की थी। लंका पुरी से द्वारकापुरी तक का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। भगवान विश्वकर्मा को किसी जाति धर्म में बांधना भी अनुचित होगा। रामकृष्ण शंकर मात्र हिंदुओं के देवता हैं मोहम्मद पैगंबर मुसलमान के आराध्य हैं गुरु नानक सिखों के गुरु है ईसा मसीह इसी के गॉडफादर हैं मगर जगतगुरु विश्वकर्मा एकमात्र ऐसे भगवान है जिनकी पूजा सभी धर्म एवं संप्रदाय के लोग करते हैं इनके आगे हिंदू मुस्लिम सिख इसाई पारसी बौद्ध जैन आदि सभी विचारधारा के लोग नतमस्तक होते हैं। इस प्रकार यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि भगवान विश्वकर्मा धर्मनिरपेक्षता एवं राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे। भगवान विश्वकर्मा के वंशज भी कारीगरी के क्षेत्र में निपुण होते हैं। लेकिन आज इनकी घोर उपेक्षा हो रही है। मेरा विश्वास है कि प्रशिक्षित गैर शिल्पी से प्रशिक्षित विश्वकर्मा पुत्र झंकार एवं युग होता है। इसका कारण है कि विश्वकर्मा पुत्रों को कारीगरी पीढ़ी दर पीढ़ी उनके पूर्वजों द्वारा विरासत में मिलती है रहती है।
उपरोक्त दोनों कार्यक्रमों में निम्नलिखित पदाधिकारी एवं विश्वकर्मा बंधु उपस्थित रहे। माननीय सूरज बली विश्वकर्मा प्रदेश उपाध्यक्ष माननीय वीर सेन यादव पूर्व जिला अध्यक्ष छोटे सिंह विश्वकर्मा प्रदेश सचिव वीरेंद्र विश्वकर्मा प्रदेश सचिव डॉक्टर डीके विश्वकर्मा जिला अध्यक्ष अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा जगत नारायण विश्वकर्मा कार्यवाहक जिला अध्यक्ष रोहित विश्वकर्मा जिला अध्यक्ष यूथ बी ग्रेड एसएन शर्मा संरक्षक दिनेश शर्मा महासचिव एसएन शर्मा वरिष्ठ उपाध्यक्ष उपाध्यक्ष शंकर विश्वकर्मा रामसागर विश्वकर्मा रामाश्रय विश्वकर्मा उपाध्याय सतीश शर्मा बिठूर विधानसभा अध्यक्ष संजय विश्वकर्मा उपाध्यक्ष मिथिलेश विश्वकर्मा राजकुमार विश्वकर्मा विनोद शर्मा उमेश विश्वकर्मा रामविलास शर्मा डॉक्टर शिवम शर्मा विकास विश्वकर्मा पिंटू विश्वकर्मा राजेंद्र विश्वकर्मा संगठन मंत्री अरुण विश्वकर्मा एवं विश्वकर्मा बंधु उपस्थित रहे।
संवाददाता आकाश वर्मा