डीएम के हस्तक्षेप से मिला न्याय दिव्यांग की बंद पेंशन बहाल

नगर पालिका घाटमपुर की लापरवाही से दिव्यांग व्यक्ति को मृतक घोषित कर उसकी पेंशन बंद कर दी गई थी। एक वर्ष तक अपने अधिकार से वंचित रहे सुरेश चंद्र पुत्र स्व.मिशन की व्यथा कुछ दिन पूर्व आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस में जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह तक पहुँची। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए और न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।
जिलाधिकारी के निर्देश पर उपजिलाधिकारी घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह ने जांच कर पाया कि सत्यापन के दौरान नगर पालिका के संविदा कर्मी मोहित तिवारी ने ग़लत आख्या देकर शिकायतकर्ता सुरेश चन्द्र को मृतक दर्शाया था। इस लापरवाही के कारण उनकी दिव्यांग पेंशन रुक गई थी। प्रशासन ने न केवल उनकी पेंशन पुनः बहाल कराई, बल्कि दोषी कर्मचारी से एक वर्ष की रोकी गई *पेंशन 12000 रूपये* की भरपाई भी कराई।
इतना ही नहीं, आवेदक की नयी पेंशन पोस्ट ऑफिस में अटकी हुई थी, जिसे उसे दिलाया गया। पेंशन हाथ में आते ही आवेदक की आंखों में चमक लौट आई। एसडीएम घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी श्री जितेंद्र प्रताप सिंह प्रकरण की निरंतर मॉनिटरिंग करते रहे जिसके फलस्वरूप शिकायतकर्ता को उसका पूरा हक मिल सका। शिकायतकर्ता ने भावुक होकर प्रशासन का आभार जताया और कहा कि उन्हें नयी रोशनी मिली है।
*जिलाधिकारी के आदेश पर श्रीनगर भूमि विवाद का समाधान*
जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के निर्देश पर श्रीनगर गांव में लंबे समय से लंबित भूमि विवाद का आज समूल निपटारा कर दिया गया। उपजिलाधिकारी घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह की मौजूदगी में लगभग चार घंटे तक सीमांकन, वार्ता और चौपाल की प्रक्रिया चली, जिसमें दोनों पक्षों के साथ ही गांव के संभ्रांत लोगों को भी शामिल किया गया।
गहन जांच और मौके पर नाप-जोख के बाद स्पष्ट हुआ कि आवेदक राजकुमार कुशवाहा द्वारा बार-बार लगाए गए दावे निराधार थे। इसके विपरीत विपक्षी पक्ष की एक महिला वास्तविक पीड़ित पाई गई, जिसने अब तक किसी भी मंच पर प्रार्थनापत्र तक नहीं दिया था। प्रशासन ने मौके पर ही सीमांकन कर सहमति के आधार पर विवाद का समाधान कराया और महिला श्रीमती छेदाना पत्नी विद्यासागर को न्याय दिलाया।
उपजिलाधिकारी घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह ने कहा कि यह मामला महीनों से लंबित था और लगातार विवाद का कारण बना हुआ था। जिलाधिकारी के निर्देश पर निष्पक्ष सीमांकन और खुली चौपाल कर दोनों पक्षों के सामने तथ्य रखे गए। प्रशासन की प्राथमिकता हर हाल में सही व्यक्ति को न्याय दिलाना है और आज यह लक्ष्य पूरा हुआ।