जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एंटीबायोटिक डे का आयोजन किया गया

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के शिशु रोग विभाग में आज रैशनल एंटीबायोटिक डे का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में एमबीबीएस, एमडी छात्रों सहित लगभग 75 स्वास्थ्यकर्मियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों को तर्कसंगत एंटीबायोटिक उपयोग और इससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में जानकारी दी गई।
कार्यक्रम का संचालन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कानपुर के सचिव डॉ. अमितेश यादव ने किया। विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र गौतम ने क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें डॉ. अजय चौबे प्रथम स्थान पर रहे। इस अवसर पर डॉ. अरुण आर्या ने एंटीबायोटिक स्ट्यूअरशिप के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एंटीबायोटिक का अंधाधुंध उपयोग आज विश्व के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। प्रॉक्टर डॉ. यशवंत राव ने एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस की समस्या पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि अभी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में सामान्य संक्रमण भी जानलेवा हो सकते हैं। डॉ. नेहा अग्रवाल ने इस वर्ष की थीम और स्लोगन प्रस्तुत किए।
थीम: “एंटीबायोटिक्स बचाएँ, बच्चों की रक्षा करें” सही दवा, सही खुराक, सही अवधि”डॉक्टरों ने बताया कि भारत में बच्चों में मृत्यु दर का एक बड़ा कारण संक्रमण है और इनमें से कई मौतें समय पर सही दवा देने से रोकी जा सकती हैं। लेकिन एंटीबायोटिक का गलत व अनावश्यक प्रयोग (जैसे वायरल बुखार या साधारण सर्दी-जुकाम में एंटीबायोटिक का प्रयोग) संक्रमणों को और अधिक जटिल बना देता है। आँकड़ों के अनुसार, हर वर्ष भारत में लाखों लोग एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस के कारण इलाज न मिलने से प्रभावित होते हैं और इसमें बच्चों की संख्या भी काफी अधिक है। विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंस से बचने के लिए तीन महत्वपूर्ण कदम जरूरी हैं केवल चिकित्सक की सलाह पर ही एंटीबायोटिक का प्रयोग करें।
दवा की पूरी खुराक और निर्धारित अवधि तक ही सेवन करें, बीच में बंद न करें।
एंटीबायोटिक केवल सही संक्रमण की पहचान होने पर ही दी जाए।
अंत में, सभी वक्ताओं ने यह संदेश दिया कि एंटीबायोटिक्स मानवता की अमूल्य धरोहर हैं, इनका संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। सही दवा, सही खुराक और सही अवधि का पालन करके ही हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं।