उपदेश टाइम्स कानपुर
जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में बेसिक शिक्षा विभाग मे डिजिटल उपस्थिति का विरोध कर रहे शिक्षक शिक्षा मित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई एवं उनकी प्रमुख मांगों को शासन से अवगत कराने का आश्वासन दिया गया।शिक्षक संगठनों द्वारा डिजिटल उपस्थिति के विरोध में की जा रही प्रमुख मांगे निम्नवत रखी गई ।
1- सभी परिषदीय शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मियों को अन्य कर्मचारियों की भांति प्रतिवर्ष 30 अर्जित अवकाश, 15 हाफ-डे -सीएल अवकाश, अवकाश अवधि में विभागीय सरकारी कार्य हेतु बुलाने पर प्रतिकर अवकाश अवश्य प्रदान किया जाए ।
2- आर टी.ई एक्ट 2009 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में परिषदीय शिक्षकों को समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से तत्काल मुक्त किया जाए। ऐसे कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। साल भर चलने वाले बी. एल ओ अभियान, एमडीएम पंजिका डिजिटाइजेशन समस्त ऑनलाइन कार्य आदि सभी इसी श्रेणी में आते हैं।
3- समस्त परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को सामूहिक बीमा, प्रीमियम मुक्त कैशलेस चिकित्सा सुविधा से आच्छादित किया जाए। शायद यह अकेला ऐसा विभाग है जहां सामूहिक बीमा व चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं है ।
4- शिक्षकों की उपस्थिति पंजिका का डिजिटाइजेशन किए जाने में आ रही कठिनाइयों का संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर निराकरण किया जाए।
5- विषम परिस्थिति होने के कारण शिक्षकों को यदि विद्यालय में पहुंचने में कभी 15 से 30 मिनट तक विलंब हो जाता है तो संबंधित शिक्षक के आकस्मिक अवकाश से एक आकस्मिक अवकाश समायोजित किया जाए एवं उचित स्पष्टीकरण के उपरांत उपस्थित माना जाए।
जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक बिन्दु पर विस्तार से चर्चा की गई तथा शिक्षक संगठनो के पदाधिकारियों से अपेक्षा की गई कि सभी शिक्षकों को आगे बढ़कर स्वप्रेरणा से शिक्षा दान करनी चाहिये। शिक्षक मार्गदर्शक होता है तथा बच्चे भी उसका अनुसरण करते है अतः शिक्षकों को भी अपने कर्तव्य का बोध होना चाहिए। वर्तमान समय में प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों एवं अभिभावकों का पूर्ण जुड़ाव नही हो पा रहा है। अतः शिक्षकों को ऐसे कार्य करने चाहिए जोकि समाज के लिये प्रेरणास्पद बन सके। शिक्षा एक दान है यदि मन से पढ़ाया जाय तो उसका प्रतिदान हम सभी को अवश्य मिलेगा।