सामाजिक संगठनों ने लगाई आवाज़, प्रो. डॉ. रविकांत चन्दन पर दर्ज फर्जी मुकदमा वापस लेने की मांग

संयुक्त सामाजिक संगठनों ने लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. रविकांत चन्दन पर जिला छतरपुर (म.प्र.) में बागेश्वर धाम समिति के धीरेंद्र कुमार गौर की शिकायत पर धारा 353(2) बीएनएस के तहत कराई गई एफआईआर को फर्जी बताते हुए इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है। संगठनों का आरोप है कि बागेश्वर धाम समिति की एम्बुलेंस से संदिग्ध हालात में महिलाओं को जबरन पीटा और अभद्रता की जा रही थी, जिसकी न्यायिक जांच ज़रूरी है। साथ ही प्रदेशभर में तथाकथित बाबाओं द्वारा अंधविश्वास फैलाने, अवैध कब्जे करने और ग़रीबों-आदिवासियों को बेदखल करने की घटनाओं पर कड़ा संज्ञान लेने की अपील की गई।
प्रमुख मांगें
प्रो. डॉ. रविकांत चन्दन पर दर्ज फर्जी मुकदमा वापस लिया जाए।
ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 को कड़ाई से लागू किया जाए।
लोकसभा में डाइन शिकार निवारण विधेयक पारित किया जाए।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में अंधविश्वास विरोधी कानून लाया जाए।
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री समेत संबंधित लोगों पर महिलाओं से हिंसा व उत्पीड़न के मुकदमे दर्ज कर जेल भेजा जाए।
समर्थन में आए सामाजिक कार्यकर्ता व नेता इस अभियान को समर्थन देने वालों में सुभाषिनी अली (पूर्व सांसद एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष – दलित शोषण मुक्ति मंच), प्रतिमा अतल पाल, एडवोकेट सईद नकवी, हरिनारायण बौद्ध, चमन खत्रा, रामपाल नागवंशी, सीमा कटियार (प्रदेश सचिव – एडवा), उषा रानी कोरी, एडवोकेट आर. के. यादव, एडवोकेट विनोद पाल, डॉ. एस. के. चौधरी, सुनील राजदान, सर्वेश बौद्ध, पंकज कमल, अजय आजाद कोरी श्रीकांत पाल सहित कई बुद्धिजीवी, वकील व सामाजिक संगठन शामिल हैं। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेशभर में आंदोलन तेज़ किया जाएगा।