लेफ्टिनेंट (अब लेफ्टिनेंट कर्नल) प्रदीप्त दत्ता सेना मेडल (वीरता)

वीरता दिवस : 10 जुलाई
युद्ध के रणभेरी बज चुकी थी, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई पड रही थी I कारगिल द्रास सेक्टर में माइनस 40 डिग्री के तापमान में पहाड़ियों पर तोपों की आवाज देश के हर कोने में गूंज रही थी और गोलों से निकलने वाली तपिश प्रत्येक देशवासी महसूस कर रहा था I देश के कोने कोने से सामरिक संरचना के अनुसार सेना की टुकडियों को देश की पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर गाड़ियों और रेल गाड़ियों से लाया जा रहा था I सैनिकों के परिजन दूर संचार माध्यमों पर आँख और कान लगाए पल – पल कि खबर ले रहे थे I देश में कहीं न कहीं रोज सैनिकों के वीरगति प्राप्त होने की खबरें आ रही थीं I ठीक इसी समय सूरतगढ़ छावनी में तैनात सेना वायु रक्षा कोर की यूनिट 130 वायु रक्षा रेजिमेंट भविष्य की आशंकाओं के बीच अपनी सामरिक तैयारी में लगी हुई थी I एक रडार और दो गन सेक्शन जैसलमेर में सीमा की निगरानी के लिए जा चुके थे लेकिन यूनिट के युद्ध में जाने या न जाने के बारे में किसी को कानो कान खबर नहीं थी I
यूनिट की क्षमताओं को देखते हुए 17 जून 1999 को तत्कालीन डायरेक्टर जनरल ऑफ़ एयर डिफेन्स आर्टिलरी द्वारा 130 वायु रक्षा रेजिमेन्ट के तत्कालीन कमान अधिकारी कर्नल अजित विनायक पालेकर को 48 घंटे के भीतर अपने दल बल के साथ युद्ध के मैदान में जाने का आदेश दिया गया I 19 और 20 जून को यूनिट चार समूहों में स्पेशल ट्रेन से युद्ध क्षेत्र के लिए रवाना हो गई I दूरी के हिसाब से यूनिट के सभी ट्रूप अगले कुछ दिनों में अपनी अपनी जिम्मेदारी की जगह पर पहुँच गए और निर्धारित सामरिक स्थल को हवाई सुरक्षा देना शुरू कर दिया I
130 वायु रक्षा रेजिमेंट के अल्फ़ा ट्रुप को मेजर हरेन्द्र दीप सिंह की कमान में कारगिल की हवाई पट्टी को वायु सुरक्षा देने के लिए तैनात किया गया था I 10 जुलाई 1999 को अल्फ़ा ट्रुप के ऊपर पाकिस्तानी सेना के तोपखाने ने भीषण फायरिंग करना शुरू कर दिया । पाकिस्तानी तोपखाने से की जा रही इस फायरिंग के कारण अल्फ़ा ट्रुप की कमान पोस्ट का गन सेक्शन और रडार से संपर्क टूट गया, जिससे कोई भी आदेश इन तक पहुँचाना मुश्किल हो गया । इस समस्या को दूर करने के लिए कमान पोस्ट अधिकार लेफ्टिनेंट प्रदीप्त दत्ता बाहर निकले और अपनी जान की परवाह न करते हुए रेगते हुए संचार लाइन की जाँच करने लगे । वह संचार लाइन को थोड़ी ही दूर जाँच पाए थे कि पाकिस्तानी तोपखाने का एक गोला उनके पास आकर गिरा और वह बुरी तरह घायल हो गए । फायरिंग के बीच में वहाँ पर मौजूद जवानों ने उनको वहाँ से उठाकर कारगिल अस्पताल पहुचाया और जहाँ पर उनका ऑपरेशन किया गया । घाव ज्यादा गहरे होने के कारण उन्हें पहले लेह के अस्पताल और फिर कमांड अस्पताल चंडी मंदिर ले जाया गया ।
लेफ्टिनेंट प्रदीप्त दत्ता को कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना, साहस और वीरता के लिए 26 जनवरी 2000 को सेना मेडल प्रदान किया गया । आपको बताते चलें कि लेफ्टिनेंट प्रदीप्त दत्ता इस यूनिट के पहले अधिकारी हैं जिन्हें यह सम्मान मिला है ।
लेफ्टिनेंट प्रदीप्त दत्ता का जन्म 25 नवम्बर 1975 को दयाल बनर्जी रोड, सिबपुर , हावड़ा में श्रीमती स्वप्ना दत्ता और श्री प्रशांत दत्ता के यहाँ हुआ था । इन्होने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा विवेकानंद इंस्टिट्यूट, हावड़ा और उच्च शिक्षा प्रेसीडेंसी कालेज कलकत्ता से पूरी की । 12 दिसम्बर 1998 को इन्होने भारतीय सेना की 130 वायु रक्षा रेजिमेंट में कमीशन लिया । इनके परिवार में इनके माता पिता, इनकी बड़ी बहन तुलिप नाग , इनकी पत्नी डाक्टर मधुमिता दरूका और बेटा प्रतीक दत्ता हैं । वर्तमान समय में सेना वायु रक्षा कोर के यह बहादुर अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर रहते हुए देश को अपनी बहुमूल्य सेवाएं दे रहे हैं ।
– हरी राम यादव
सूबेदार मेजर (आनरेरी)
7087815074