कर्बला के मैदान से इमाम हुसैन ने जुल्म और जालिम के खिलाफ आवाज बुलंद करने का संदेश दिया महबूब आलम खान

कानपुर आज दिनांक 6 जुलाई 2025 को पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे शहीद ए आज़म हजरत इमाम हुसैन की शहादत 10 मोहर्रम आशूरा का दिन बहुत अदब और एताराम के साथ मनाया गया कुलहिंद जमीअतुल आवाम के महामंत्री महबूब आलम खान ने कहा कि मुहर्रम उल हराम की 10 तारीख को कर्बला के मैदान में पैगंबर ए इस्लाम के घराने पर दुनिया का सबसे बड़ा जुल्म सितम किया गया हमें यह याद रखना होगा कर्बला सिर्फ कोई घटना नहीं है बल्कि एक ऐसा पैगाम, ऐसा इंकलाब है जो कयामत तक इंसानियत को जुल्म के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत देता रहेगा हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान से हमको जो संदेश दिया है उसको हमें समझना होगा इमाम हुसैन ने सच्चाई पर कायम रहते हुए जालिम के सामने ना झुकने का फैसला किया और यह बताया कि हम तादाद में चाहे काम हो लेकिन हमें जालिम की मुखालफत हर हाल में करनी है और मजलूम की मदद करनी है कर्बला के मैदान से हजरत इमाम हुसैन ने सब्र की ऐसी मिसाल कायम की है की दुनिया याद रखेगी आपने दीन ए मोहम्मदी के लिए अपनी और अपनी औलादो की कुर्बानी देकर अपने नाना के दीन को बचाया और यह बताया कि इस्लाम सच्चाई का मजहब है इंसानियत का पैगाम देता है जुल्म करने वाले जालिमों की मुखालिफत करता है कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाने के लिए न सिर्फ अपनी जान की कुर्बानी दी बल्कि अपने बेटे अपने भतीजे, भांजे भाइयों के अलावा अपने दोस्तों की जानकी कुर्बानी देना गवारा समझा मगर जालिम यजीद पलीत की बैअत नहीं की बल्कि हुसैन ने कुर्बानी कि वो मिसाल कायम की जो कयामत तक हक और बातिल के बीच फर्क कर दिया हम सबको पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की औलाद( घरवालों) से मोहब्बत करना चाहिए और साहब की ताजिम करनी चाहिए ताकि हमारी भी दुनिया और आखिरत बन जाए