हवलदार सरमन सिंह सेंगर सेना मेडल (वीरगति प्राप्त)
घुसपैठियों के वेष में धोखेबाज पाकिस्तानी सैनिक कारगिल स्थित द्रास, मश्कोह , बटालिक आदि अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अपना ठिकाना बनाकर पूरी सामरिक तैयारी के साथ आक्रमण के उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा कर रहे थे। 03 मई को जब घुसपैठ की खबर भारतीय सेना को लगी तो तत्काल सेना ने कार्यवाही शुरू कर दी । इसी क्रम में 05 मई को स्थिति का जायजा लेने के लिए एक पेट्रोलिंग पार्टी भेजी गयी। जिसे पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़ लिया और उनमें से 05 सैनिकों की निर्मम हत्या कर दी गयी। 3 पंजाब रेजिमेंट ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी और 07 मई 1999 तक घुसपैठ की पुष्टि हो गयी। 3 इन्फेंट्री डिवीजन के मुख्यालय ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। 26 मई को भारतीय वायुसेना ने “सफेद सागर” और भारतीय सेना ने आपरेशन विजय नाम से अपना अभियान शुरू कर दिया।
कारगिल में जो कुछ देखने को मिल रहा था उससे पता चल गया कि पाकिस्तान अपनी नियमित सेना का प्रयोग करके नियन्त्रण रेखा को बदलने की सोची समझी योजना का हिस्सा है। यह भी स्पष्ट था कि जिन चोटियों पर दुश्मन ने कब्जा कर लिया था उन्हें खाली कराने के लिए संसाधन और अच्छी तैयारी की आवश्यकता होगी क्योंकि पाकिस्तान ने जिन चोटियों पर कब्ज़ा जमाया था वह ऊंचाई पर स्थित थीं और हमारे देश की ओर से सीधी खड़ी चढ़ाई थी । शुरूआती दिनों में दुश्मन को भगाने के जो प्रयास किये गये, उनमें काफी संख्या में हमारे सैनिक हताहत हुए।
2 राजपूताना राइफल्स 81 माउंटेन ब्रिगेड का हिस्सा थी । 04 जून 1999 को इसे द्रास क्षेत्र में तैनात किया गया। ऑपरेशनल योजना के अनुसार, 2 राजपूताना राइफल्स की ‘डेल्टा ‘ कंपनी को मेजर मोहित सक्सेना की कमान में लोनी हिल पर कब्जा करने का कार्य सौंपा गया था। हवलदार सरमन सिंह सेंगर इसी ‘डेल्टा ‘ कंपनी का हिस्सा थे, । 2 राजपूताना राइफल्स और 18 गढ़वाल ने 28 जून 1999 को 2030 बजे हमला करना शुरू किया। लोनी हिल एक बहुत ही दुरूह और खड़ी चढ़ाई वाली पहाड़ी थी , जिसकी खड़ी चट्टानें दुश्मन की मीडियम मशीनगनों द्वारा कवर की गई थीं। 28 जून की चांदनी रात इस दल के कार्य को और भी कठिन बना रही थी।
‘डेल्टा ‘ कंपनी मेजर मोहित सक्सेना के नेतृत्व में आगे बढ़ने लगी । लोनी हिल पर स्थित तीन छोटी चोटियों में से दो पर हमला करते हुए उन पर इस दल द्वारा कब्जा कर लिया गया । तीसरी चोटी 200 फीट लंबी कच्ची चट्टान की दीवार पर थी, इस पर एक एक इंच चढ़ाई करना पड़ रहा था। घातक प्लाटून को उत्तर की ओर से इस पर कब्जा करने के लिए आदेश दिया गया। कई घंटों तक भीषण गोलीबारी जारी रही । 2 राजपूताना राइफल्स की इस टुकड़ी ने साहसिकता से दुश्मन का सामना किया। अंततः लक्ष्य पर कब्जा कर लिया गया। दोनों ओर से हो रही भीषण गोलीबारी के दौरान हवलदार सरमन सिंह सेंगर गंभीर रूप से घायल हो गए। घाव गहरी होने और तीव्र रक्तस्राव के कारण वह वीरगति को प्राप्त हो गए । हवलदार सरमन सिंह सेंगर के अलावा, 2 राजपूताना राइफल्स के तीन अधिकारी और नौ सैनिक इस समग्र अभियान के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए, जिनमें उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ के लांसनायक सतपाल सिंह और जनपद गजियाबाद के राइफलमैन ओम प्रकाश भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। हवलदार सरमन सिंह सेंगर को उनकी बहादुरी, कर्तव्यनिष्ठा और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत “सेना मेडल” से सम्मानित किया गया।
हवलदार सरमन सिंह सेंगर का जन्म उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गांव बिलोहा में 19 मार्च 1961 को श्रीमती शिवपती देवी और श्री उदयभान सिंह सेंगर के यहाँ हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से पूरी की और 28 नवम्बर 1980 को सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हो गए । राजपूताना राइफल्स सेंटर में प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वह 2 राजपूताना राइफल्स में तैनात हुए। सेना में सर्विस मिलने के पश्चात उनका विवाह सुश्री सरोज कुमारी से हुआ । इनके परिवार में इनकी पत्नी, बेटा लक्ष्मण सिंह सेंगर और बेटी माया सेंगर हैं । हवलदार सरमन सिंह सेंगर के माता पिता की मृत्यु हो चुकी है । वर्तमान समय में इनका परिवार मध्य प्रदेश के जनपद ग्वालियर में निवास करता है।
हवलदार सरमन सिंह सेंगर की वीरता और बलिदान की याद में इनके पैतृक गावं में इनके परिजनों द्वारा एक स्मारक का निर्माण करवाया गया है और ग्वालियर के सेंट्रल जेल रोड पर स्थित बहोड़ापुर में कारगिल शहीद सरमन सिंह खेल एवं शिक्षा प्रसार संस्था के सौजन्य से कारगिल युद्ध के 527 शहीदों की स्मृति में कारगिल युद्ध शौर्य स्मारक शहीद सरमन सिंह पार्क का निर्माण करवाया है ।
हरी राम यादव
सूबेदार मेजर (आनरेरी)
7087815074

समाज में व्याप्त अंधविश्वास का अंधेरा? वैज्ञानिक शिक्षा,ज्ञान कसौटी पर
बिहार चुनाव 2025: जनमत की नई परिभाषा और पहले चरण की निर्णायक भूमिका डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)
गुरु नानक देवः मानवता के पथप्रदर्शक विलक्षण संत -ललित गर्ग-
जानलेवा प्रदूषण, सरकारों की शर्मनाक नाकामी -ललित गर्ग-
घोषणा-पत्रः लोकतंत्र का सशक्त हथियार या चुनावी छलावा? -ललित गर्ग-
सूबेदार जय सिंह शौर्य चक्र (मरणोपरांत) 