इतिहास का पुनर्लेखन भारत को विश्वगुरु बनाने में सहयोगी: डॉ बालमुकुंद पांडेय — डॉ सुधाकर कुमार मिश्रा
प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में ‘किताब वाले’ प्रकाशन से प्रकाशित किताबों का लोकार्पण हुआ । इस पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. बालमुकुंद पांडे जी राष्ट्रीय संगठन मंत्री/ राष्ट्रीय संगठन सचिव ,अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना थे। डॉ. पांडे जी ने सभी अतिथियों, आगंतुक विद्वानों और अकादमिक जगत के विद्वानों को बधाई दी और कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उनका कहना था कि सभी विद्वान लेखक महामना मालवीय जी के बगिया के ऊर्जावान उत्पाद है़ं। उन्होंने कहा कि वह स्वयं महामना पं. मदनमोहन मालवीय जी के प्रबल उपासक एवं उनके विचारों के प्रबल समर्थक हैं। उन्होंने इतिहास के पुनर्लेखन और इतिहास की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक लेखक को इतिहास के तथ्यों एवं मूल्यों को अपने जीवन में साकार करना होगा। पूर्व में इतिहास के साथ क्या घालमेल हुआ? और क्यों हुआ ? इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। जिन लोगों ने इतिहास के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ किया है उसको उजागर करने के लिए सघन अनुसंधान करना होगा।
अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि प्रकाश (ऊर्जा ) का अभाव ही अंधकार है । अज्ञानता प्रमुख बीमारी है। उन्होंने प्रकाशक महोदय को इस बात के लिए हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया कि उनके सद् प्रयासों से ऐतिहासिक तथ्यों और मूल्यों को समाज एवं विद्वानों के बीच संप्रेषित किया जा रहा है। डॉ. पांडे जी ने वर्तमान पीढ़ी के द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यो की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रामाणिक स्रोत से इतिहास की मूलभूत अवधारणा को उजागर करना है। उन्होंने भारत में शक्ति की 51पीठों की उपादेयता पर भी प्रकाश डाला। उनका कहना था कि दृष्टिस्नेह से इतिहास और संस्कृति की महत्ता का उन्नयन करना होगा जिससे भारत वैश्विक स्तर पर विश्व गुरु बन सके। परिवर्तन से पृथ्वी की पूजा करनी होगी। शक्ति की उपासना व्यक्ति के लिए सदैव से महत्वपूर्ण और आवश्यक रही है। लेखकों, पुस्तकों, विद्वानों और शोधार्थियों को इतिहास के वास्तविक मूल्य को उजागर करने के लिए उन्होंने हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया।
लोकार्पण कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साउथ एशियन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर के के अग्रवाल जी थे। अग्रवाल जी का कहना था कि वास्तविक स्तर पर इतिहास सभी विषयों की जननी है। उनका कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास के तथ्यों से जो छेड़छाड़ की है उसके लिए उन्हें अपने कुकृत्यों पर प्रायश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य (उचित) इतिहास भारत को विश्व गुरु बनने में सहयोग करेगा।
पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरु घासीराम केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर आलोक चक्रवाल जी ने की। उन्होंने भी 51 शक्तिपीठों की उपादेयता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसके सामयिक और ऐतिहासिक महत्व पर भी प्रकाश डाला।
पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर डीसी चौबे ने इतिहास के महत्व , उपादेयता और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला । उनका कहना था कि आर्य मूलत: भारतवासी हैं। उन्होंने महर्षि वेदव्यास जी को प्रथम इतिहासकार बतलाया। उन्होंने अपने द्वारा लिखित पुस्तक को प्रामाणिक और वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित बताया। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, दिल्ली प्रांत के महामंत्री डॉ. नरेंद्र शुक्ला जी ने किया। कार्यक्रम में दिल्ली प्रांत से अधिकाधिक सदस्य उपस्थित थे। लोकार्पण का यह कार्यक्रम खुशनुमा माहौल में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

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