समय की रेत पर फिसल गई जिंदगी, देखते ही देखते में ढल गई जिंदगी
मधुर साहित्य सामाजिक काव्य संस्था की 116 वीं कवि गोष्ठी साहित्यकार सुनील चौरसिया सावन के आवास पर सावन साहित्य सेवा सदन, अटल नगर (अमवा बाजार), रामकोला, कुशीनगर, उत्तर प्रदेश में सम्पन्न हुई जिसमें हिन्दी और भोजपुरी भाषी साहित्यकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर कबीरपंथी विचारधारा के संतो एवं साहित्यकारों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।अध्यक्षता मधुसूदन पांडेय मधुर ने की तथा मंच संचालन कवि सुनील चौरसिया सावन ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत भोजपुरी कवि उगम चौधरी की सरस्वती वंदना से हुई। कबीरपंथी विचारक मुन्ना यादव के मुख्य आतिथ्य में सफलतापूर्वक सम्पन्न कवि गोष्ठी में कथा वाचक गोमल कवि ने पारिवारिक एवं सामाजिक यथार्थ को समर्पित कविता ‘कुटे पीसे बुढ़िया त खुदिया दुलम बा, बइठल-बइठल बबुनी के खाएके पलंग बा… तथा सुनील चौरसिया सावन ने मां को समर्पित रचनाएं… मां ममता के अमृत से जीवन को सींचे, मेरी जिंदगी है पापा के पांवों के नीचे… , समय की रेत पर फिसल गई जिंदगी, देखते ही देखते में ढल गई जिंदगी सुनाकर तालियां बटोरी। हरीलाल जायसवाल ने रात दिन जे सोचेला बेईमानी, साथ लेके का जाइ ..सुना कर सबको भाव-विभोर कर दिया।
डॉ . बलराम राय ने देखिए कैसी आफत हो रही है, बात-बात पर सियासत हो रही है.. सुनाकर वाहवाही लूटी। उगम चौधरी ने भक्तिभाव पूर्ण गीत सुनायी-निमिया के पतई ह माई के भोजनिया, एही पर झुलवा झुलेली दूनो बहिनिया।
वरिष्ठ कवि मधुसूदन पांडेय मधुर ने मां को समर्पित कविता प्रस्तुत की जो बहुत ही सराहनीय रही। धन्यवाद ज्ञापन सावन साहित्य सेवा सदन के प्रबंधक रामकेवल चौरसिया ने किया।
कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष के उद्बोधन से हुआ। इस अवसर पर श्रोतागण के रूप में लक्ष्मी भगत , प्रीति, सुप्रीति चौरसिया, आराधना पांडेय, रामकेवल चौरसिया, उर्मिला , प्रियंका, नंदिनी, संदीप, शैलेंद्र, सत्या , सोना, पिन्टू, वन्दना, पारस, वृजा सन्त, राजमती आदि उपस्थित रहे।