मन के अंदर बसे रावण का संहार
बल्लू पहलवान सज धज के मूछों में ताव देते रामलीला मैदान की तरफ विजयादशमी के अवसर पर जाते हुए दिखाई दिए, मैंने पूछा बल्लू पहलवान किधर निकले, उन्होंने कहा रामलीला मैदान जा रहा हूं आज रावण को मारना ही है। मैंने पूछा कौन से रावण को उन्होंने मूछों में ताव दिया बोले क्या आप रावण को नहीं जानते, रामायण नहीं पढी ? मैंने कहा पढ़ी है, पर आप किस रावण की बात कर रहे हैं,उन्होंने गुस्से में कहा उस रावण की बात कर रहा हूं जो बहुत दुष्ट था,राक्षस था और सीता मैया का अपहरण कर लिया था और जिसके दस-दस सिर् थे, इतना कहकर वह जोर-जोर से हंसने लगा, मैंने कहा भाई वह तो पुतला है उसे मार के कौन सा तीर मार लोगे,बल्लू पहलवान थोड़ा चकराया मैं बोला कभी अपने अंदर के रावण की तरफ झांक के देखा है, अपने क्रोध की तरफ देखा है जब आप टिल्लू पहलवान को पटक-पटक कर गुस्से में मार रहे थे और घर जाकर अपनी लुगाई की पिटाई भी की थी,मैं उस रावण की बात कर रहा हूं जिन्होंने हाथरस में मनीषा के साथ बलात्कार किया और आज तक पकड़े नहीं गए, मैं उस रावण की बात कर रहा हूं जिसने निर्भया के साथ वीभत्स तरीके से से बलात्कार किया था , मैं उस रावण की बात कर रहा हूं जिसने कोलकाता में डॉक्टर के साथ बलात्कार किया और उसे मौत के घाट उतार दिया था।
,मैं उस रावण की बात कर रहा हूं जो राजनीति में है, जो प्रशासन में है, पुलिस में है, जो आपके गली में है मोहल्ले में है आपके शहर में है और भयानक भ्रष्टाचार,दुराचार और व्यभिचार फैलाए हुए हैं, तुम्हें मारना ही है तो उन रावणों को मारो, पहले अपने घर जाओ क्रोध, कामना, लिप्सा और लालच को मार कर आओ, तब रावण रूपी इस पुतले को मारो,वे तुरंत घर की तरफ लौटने लगे, मैंने उसे हंसते हुए कहा-आज तो जाकर पुतला जला आओ पर कल से ध्यान रखना,मेरे बताएं सारे रावणों का नामोनिशान मिटा देनाl