नरहैया मधुबानी कब्रिस्तान के मामले की जांच इमारत शरिया की टीम सरकारी जांच टीम के साथ की
वह कब्रिस्तान की जमीन है इस पर कमेटी के अध्यक्ष एडीएम मधुबनी श्री शैलेश कुमार ने कहा कि हम लोग पहले उस स्थान यानी कब्रिस्तान पर पहुंच कर जमीनी निरीक्षण कर लें फिर कोई बात होगी इसलिए कमेटी के अधिकारीगण कब्रिस्तान पहुंचे जहां पहले से कुछ लोगों को ना मालूम किसके द्वारा बोला कर एक किनारे जमा किया हुआ था प्रवेश करते ही कब्रिस्तान की जमीन खोदी हुई थी मिटटी भरी हुई नजर आई लेकिन जिन स्थानों पर मिट्टी नहीं डाली गई थी वहां क़ब्र दिखाई दे रही थी जिसे स्थानीय लोगों ने अधिकारियों को दिखाया कमेटी इस स्थान को देखते हुए कब्रिस्तान के और आगे के भाग की ओर बड़ी जहां बहुत सारी खबरें मिली कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मेरे पिता की कब्र है और यह मेरे भाई की क़ब्र है और यह कहते हुए वह बेकाबू होकर रोने लगे कुछ क़ब्रें इतनी नई थी की कब्र के ऊपर बिछाए हुए बांस भी मौजूद थे जिसे उठाकर सरकारी अधिकारियों को दिखाई भी गई। कब्र देखी ही जा रही थी कि पूर्व से उपस्थित जमा किए गए लोग हस्ताछेप करने लगे और देखते ही देखते उनकी संख्या बढ़ने लगी जिससे वह स्थानीय लोग जिनके संबंधियों की कब्र थी भयभीत हो गए और कहने लगे कि इन लोगों को यहां बुलाने की जिम्मेदार यह स्थानीय अधिकारी है साथ ही लोगों का कहना हुआ कि इस क्षेत्र के समझदार लोगों ने हमेशा इस क्षेत्र को शांतिपूर्ण ढंग से बनाए रखा है और वह लोग सहनशीलता का प्रदर्शन करते हुए एसडीओ कार्यालय वापस होने लगे ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो इस बीच इस गांव के सरपंच श्री हरि महतो आगे आए और सारी जनता एवं अधिकारियों के सामने यह गवाही दी कि यह सब कब्रिस्तान है लेकिन डीएम मधुबनी द्वारा गठित कमेटी के अधिकारियों ने इस जरूरी बयान की अपेक्षा की एवं उनको हल्का समझा फिर अधिकारीगण इमारत शरिया के प्रतिनिधि और स्थानीय लोग एसडीओ कार्यालय के लिए प्रस्थान कर गए यह बहुत निराशा जनक रहा की ए डी एम महोदय ने उन्हीं लोगों को गवाही के लिए एसडीओ महोदय के कार्यालय में बुलाया गया जो कब्रिस्तान में हंगामा करने पर तुले हुए थे। लेकिन इस जगह मौजूद समाज सेविओं ने इसका विरोध किया और एडम महोदय को कहा कि आप इस विवाद को गलत रंग दे रहे हैं यह मामला हिंदू और मुसलमान का नहीं है बल्कि सरकार और मुसलमान के बीच है इसलिए आपको गवाही उससे लेनी चाहिए जिसे पूर्वज और संबंधी इस कब्रिस्तान में दफनाये जा रहे हैं इसके बाद एडीएम महोदय ने कुछ गैर मुस्लिम भाइयों को यह कहते हुए बाहर भेज दिया कि ठीक है अभी जाइए लेकिन बाहर बैठिए इसके बाद मौजूद स्थानीय लोगों से इमारत शरिया के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में कहना सुनना शुरू हुआ लोगों ने सरकारी कमेटी से अनुरोध किया कि आप पहले अमीन को बहाल कर कब्रिस्तान का सीमांकन कराये, उसके बाद उसका कुल क्षेत्रफल निकाले, फिर हम लोग चाहते हैं कि यह मामला हर हाल में सुलझ जाये, ताकि समाज में शांति बनी रहे वहां बैठे मधुबनी अमीन से कहा कि आप लोग साहब के साथ बैठ कर नक्शा ले आइए, बाकी लोगों से कहा कि इसमें कम से कम एक घंटा लगेगा, आप लोगों को कोई जरूरत हो तो आप लोग इसे पूरा कर सकते हैं, इसलिए इमारत शरिया की टीम साथ में है स्थानीय लोगों के साथ आवश्यक सलाह के लिए बाहर आये, इसी बीच मौका पाकर एडीएम ने कब्रिस्तान में गुस्साये लोगों को बुलाया और बारी-बारी से गवाही दी, जब इमारत शरिया की टीम स्थानीय लोगों के साथ घटनास्थल पर लौटी, तो उन्होंने नाराजगी व्यक्त की, फिर बैठक की एडीएम साहब और उनकी टीम ने पहले तो यह जानते हुए भी कि यह लंबे समय से कब्रिस्तान की जमीन है और मौका मुआयना करने के बाद भी नए सर्वे को बहाना बनाया गया कि इस पर स्कूल बनाया जाएगा। स्थानीय लोगों ने कहा कि कब्रिस्तान को कब्रिस्तान ही रहने दिया जाए और सरकार को स्कूल के लिए दूसरी जगह ढूंढनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस भूखंड के सवा दो बीघा जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है, इसलिए इसे मुक्त कराया जाए। एस तरह कब्रिस्तान के रहते हुए भी स्कूल बन सकता था, लेकिन सरकार की टीम ने यह कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया कि अतिक्रमण हटाना आसान काम नहीं है, हां, जब आपने कब्रिस्तान की जमीन पर स्कूल बनाने का फैसला कर लिया है, तो हम ऐसे बैठे नहीं रह सकते। एक बैठक, हम बिहार सरकार के शीर्ष अधिकारियों और माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से मिलेंगे और स्थिति बताएंगे। हमें विश्वास है कि वहां से न्याय मिलेगा। लेकिन स्थानीय अधिकारियों के व्यवहार से हमें दुख हुआ, इमारत शरिया के प्रतिनिधिमंडल और स्थानीय जिम्मेदार लोगों ने आम मुसलमानों के साथ धैर्य और संयम दिखते हुए कानूनी रास्ता अपनाने की अपील की और कहा के कानूनी दायरे में रह कर ही अगली रणनीति बनाई जाएगी।