इंटरनेशनल मीडिया क्लब से संबद्ध लॉयर्स क्लब ने अधिवक्ता हितों को लेकर सौंपा ज्ञापन

कानपुर नगर उपदेश टाइम्स
केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता विरोधी दमनकारी नीति अपनाया जाना व हिंदुस्तान भर के अधिवक्ताओं की विधिक मांगों को बादा करने के बावजूद पूरा ना किया जाना व अधिवक्ताओं को पेंशन न दिया जाना साथ ही नये अधिवक्ताओं की स्टाइपेंड की व्यवस्था न किया जाना
निवेदन के साथ हम अधिवक्ता गण अपनी संस्था लायर्स क्लव संबंद्ध इंटरनेशनल मीडिया प्रेस क्लब रजिस्टर्ड के माध्यम से अपनी मांगों को दोहराते हैं और महामहिम जी से अपेक्षा करते हैं की आप हम अधिवक्ताओं की मांगों पर विचार करेंगी। हम अधिवक्ता गण जब तक हमारी मांगे पूर्ण नहीं की जाती हैं अंतिम श्वास तक लड़ाई लड़ेंगे, मांग पूरी न होने पर आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा महामहिम जी हिन्दुस्तान के अधिवक्ताओं ने अनगिनत बार अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन प्रतिवेदन दिये लेकिन आज तक सरकार के कान में जूं तक नहीं रेगी जो अपने ही किए वादों से लगातार मुकर रही हैं। संक्षिप्त में में अपनी संस्था के माध्यम से आपका ध्यान सरकार द्वारा किये गये वादों की और आकृष्ट कराना चाहता हूँ। नई दिल्ली में पण्डित कन्हैयालाल मिश्र मेमोरियल कमेटी द्वारा सेमिनार में केंद्रीय कानून मन्त्री अर्जुनराम मेघवाल ने आश्वस्त किया था की सरकार वकीलों के मेडिकल एवं समस्याओं को लेकर काफी गंभीर हैं तथा आंकड़े मिलने पर सकारात्मक निर्णय लेने तथा एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट पर भी सकारात्मक विचार सरकार करेगी। इसी प्रकार इसके पूर्व भी पूर्व केंद्रीय कानून एवं न्याय मन्त्री भारत सरकार रविशंकर जी ने भी 13 फरवरी 2012 में 3 जून 2019 को नई दिल्ली में प्रेस सम्मेलन में ऐलान किया था की देश के वकीलों के कल्याण के कि हमने एक कमेटी गठित की हैं जो तीन माह में रिपोर्ट मिलने पर इंश्योरेंस सहित 5 मांगे शामिल हैं सरकार उन्हें तुरंत लागू करेगी इसी प्रकार प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब बार काउंसिल आफ इण्डिया के स्वर्ण जयंती समारोह में 1 मार्च 2014 को कहा था की अगर में भारत का प्रधान मंत्री बना तों केंद्र सरकार के बजट में अधिवक्ताओं के लिए अलग से बजट का प्रावधान करूंगा। इतने सारे सरकार द्वारा बादे किये जाने के बावजूद आज तक देश के अधिवक्ताओं की एक भी मांग नहीं मानी गयी जिसके कारण आज आम अधिवक्ता असमंजस की स्थिति में हैं। एक्ट 1974 में हमारी बुनियादी मांगों में संशोधन कर अधिवक्ता कल्याण निधि 15 लाख किया जाये तथा
इसे अधिवक्ता को प्रदान की जावे। अधिवक्ता को 60 वर्ष की उम्र हो जाने के बाद प्रतिमाह ₹30000 पेंशन उसके अंतिम समय तक दी जाए अधिवक्ता की मृत्यु पर उसके आश्रित को पेंशन प्रदान की जावें। 10 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा तथा अधिवक्ता को लाइब्रेरी मेंटेन करने के लिए ₹2000 प्रतिमाह दिए जाएं।
द्वारा अधिवक्ता पेशे को अपनाये जाने पर बतौर स्टाइपेंड उसे ₹10000 प्रतिमाह दिया जाए। कोर्ट में बहुमंजलीय इमारतों का निर्माण करा कर अधिवक्ताओं को चैंबर प्रदान किए जाएं। अधिवक्ता की आकस्मिक दुर्घटना से मृत्यु होने पर मृतक आश्रितों को 50 लाख रुपए का अनुदान दिया जाये।
ज्ञापन देने वालों में सियाराम पाल एडवोकेट, उमाशंकर त्यागी एडवोकेट जगजीवन राम राघुवेन्द्र सिंह पाल बाबूराम सचान श्रीराम गौतम शिव करन सिंह
शाकिर अली रोहित सिंह यादव शिव प्रकाश सिंह पाल विजय प्रकाश बर्मा नीरज कुमार बिमल पासवान तेज बहादुर पाल देवनारायण पाल आर डी शुक्ला नीलम वर्मा बाबूलाल वर्मा बालकिशन यादय विशाल पाल वी डी दुबे सभी एडवोकेट के अलावा सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे।