सिपाही ब्रह्म पाल सिंह कीर्ति चक्र (मरणोपरांत)
वीरगति दिवस पर विशेष
उत्तर प्रदेश का जनपद बुलंदशहर अपनी बुलंद विरासत के लिए देश में प्रसिद्ध है। इस जनपद की माटी के कण और पानी की बूंद में देशभक्ति की ज्वाला धधकती है । इस जनपद के अनेकों वीरों ने देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है और वीरता की वह गाथा लिखी है जो सदियों तक धरती पर गूंजती रहेगी और आने वाली पीढियां उनकी वीरता और बलिदान से प्रेरणा लेती रहेंगी।
44 राष्ट्रीय राइफल्स जम्मू और कश्मीर में तैनात थी। इस यूनिट को अपने सूत्रों से अलगर गांव में तीन आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली। इन आतंकवादियों को खोजने के लिए एक खोजी और घेराव अभियान शुरू किया गया। इस अभियान का नेतृत्व कैप्टन कनिंदर पाल सिंह कर रहे थे। सिपाही ब्रह्म पाल सिंह इस दल के आंतरिक घेरे में कम्बैट एक्शन टीम के सदस्य थे।
जिस गांव में आतंकवादी छुपे हुए थे उस गांव के घरों की सही पहचान करने के बाद फिर से उस खोजी और घेरा दल को पुर्नसंगठित किया गया। सिपाही ब्रह्म पाल सिंह की सामरिक और पेशेवर उत्कृष्टता को देखते हुए उन्हें एंट्री टीम का हिस्सा बनाया गया। दो घरों की तलाशी लेने के बाद सिपाही ब्रह्म पाल सिंह अपने सहयोगी के साथ बगल में स्थित गौशाला की तलाशी लेने के लिए आगे बढ़े। घुप्प अंधेरे वाली गौशाला मे घुसने वाले वह पहले व्यक्ति थे। आतंकवादियों ने उनके ऊपर तीन तरफ से भारी फायरिंग करनी शुरू कर दी। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह न करते हुए तुरंत जवाबी कार्रवाई की। तीनों आतंकवादियों ने सिपाही ब्रह्मपाल सिंह को काबू में करने के लिए उन पर फायरिंग शुरू कर दी। सिपाही ब्रह्म पाल सिंह ने अकेले वीरतापूर्ण कार्यवाही में अपने सहयोगी सिपाही औरंगजेब को कवर फायर प्रदान करते हुए बाहर निकलने में मदद किया और तीनों आतंकवादियों को गौशाला से भागने से रोका। इसके परिणामस्वरूप कैप्टन कनिंदर पाल सिंह को घेरे को फिर से समायोजित करने का समय मिल गया। आतंकवादियों द्वारा की जा रही भारी गोलीबारी में उनके सीने और पैर में गोली लगने से वह घायल हो गये।
गंभीर रूप से घायल होने और संख्यात्मक रूप से आतंकवादियों के ज्यादा होने के बावजूद सिपाही ब्रह्म पाल सिंह ने आतंकवादियों पर फायरिंग जारी रखा, जिससे एक आतंकवादी मारा गया और दूसरा घायल हो गया। सिपाही ब्रह्म पाल सिंह ने वीरतापूर्ण कार्रवाई, अदम्य साहस, असाधारण बहादुरी का प्रदर्शन किया जिससे उनके सहयोगी की जान बच गई और एक कट्टर आतंकवादी को मार गिराया और दूसरे आतंकवादी को घायल कर दिया। मारे गए आतंकवादियों का सम्बन्ध जैशे मोहम्मद से था और इनमें से एक आतंवादी मसूद अजहर का भतीजा भी था । भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं के अनुरूप राष्ट्र के लिए उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके इस अभूतपूर्व साहस के लिए उन्हें 06 नवम्बर 2017 को मरणोपरान्त “कीर्ति चक्र”से सम्मानित किया गया ।
सिपाही ब्रह्म पाल सिंह का जन्म 10 जुलाई 1987 को जनपद बुलन्दशहर के ग्राम सुजानारानी में श्रीमती बल वीरी देवी और श्री सुख पाल सिंह के यहां हुआ था । इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा जनता आदर्श हाईस्कूल, कंचनपुर, अलीगढ़ से पूरी की। 26 अप्रैल 2004 को यह भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट में भर्ती हुए और प्रशिक्षण के पश्चात् 22 राजपूत रेजिमेंट में तैनात हुए तथा बाद में 44 राष्ट्रीय राइफल्स में पदस्थ हुए।
– हरी राम यादव
7087815074

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