निकला चांद, खत्म हो गया सुहागिनों का इंतजार;

फर्रुखाबाद दैनिक उपदेश टाइम्स न्यूज़ ब्यूरो मनोज कुमार की विशेष रिपोर्ट
आज देश भर में करवा चौथ का त्योहार मनाया गया। हिंदू धर्म में इस त्योहार का खास महत्व है। महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु की कामना के लिए इस व्रत किया। इस बार करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को बड़ी धूमधाम से सुहागिनों नेमनाया करवा चौथ का व्रत बेहद कठिन होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किए बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक महिलाएं रखती हैं।
भारत में त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है। आज देश में करवा चौथ का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया हिंदू धर्म में इस त्योहार का अहम महत्व है। करवा चौथ विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला महत्वपूर्ण व्रत है। करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया रात में महिलाएं विधिवत पूजन किया और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण किया
देशभर में करवाचौथ की धूम है।
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छलनी से किया चांद का दीदार
करवाचौथ के दिन छलनी से चांद को देखने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसके पीछे कई कहानी है लेकिन एक कथा काफी प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि वीरवती नाम की एक पतिव्रता स्त्री ने जब करवाचौथ का उपवास किया तो दिनभर व्रत कि वजह से वो बेहद कमजोर जो गई। उसकी ये स्थिति देखकर उसके भाइयों ने उसके साथ छल किया। उन्होंने पेड़ की ओट पर एक छलनी लगा दी और बहन से कहा कि चांद निकल आया। उस पतिव्रता स्त्री ने छलनी को देखा और उसे लगा कि चांद सचमुच उदित हो गया। जिसके बाद उसने व्रत खोल लिया, व्रत खोलते ही उसके पति की मौत हो गई। लेकिन स्त्री ने अपने अटूट विश्वास और प्रेम से अपने पति को दोबारा जीवित कर लिया। अगले साल वीरवती ने पूरे जतन से करवाचौथ का व्रत रखा जिससे देवी माता प्रसन्न हुईं और उसके पति को दीर्घायु का आशीवार्द दिया। बस इसी समय से छलनी से चांद देखने की परंपरा चली आ रही है