जब ध्यानचंद का जादू देखने के लिए समाचार पत्रों ने व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद करने की अपील की, खेल विशेषज्ञ सुनील कुमार की कलम से

कानपुर नगर उपदेश टाइम्स
मेजर ध्यानचंद की हांकी का जादू दुनिया ने 1928 और 1932 के ओलंपिक में देखा जहां पर उन्होंने फाइनल मैच में गोल की हैट्रिक की। मेजर ध्यान चंद की हाकी का जादू पूरी दुनिया में छाया हुआ था दुनिया के महान क्रिकेट खिलाड़ी सर डान ब्रैडमैन खुद उनकी हांकी जादूगरी के कायल थे। उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार में चौके और छक्के मारता हूं मेजर ध्यानचंद इसी प्रकार गोल करते हैं यह एक महान खिलाड़ी की एक महान खिलाड़ी के लिए बहुत बड़ी बात थी और उस समय हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था जब मेजर ध्यानचंद की हॉकी का जादू दुनिया में छाया हुआ था। 1935 में भारतीय हॉकी टीम मेजर ध्यानचंद के नेतृत्व में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया। उनके करिश्माई हांकी का जादू न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में पूरी तरह से छाया हुआ था लोग ध्यानचंद की हॉकी की स्किल के दीवाने थे। उस समय उनके मैच को देखने के लिए टाउन क्लर्क की व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद करने की अपील तत्कालीन समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाती थी यह था मेजर ध्यानचंद की करिश्माई जादू भरी हाकी का एक सुंदर अनुपम उदाहरण। 1936 के बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद फाइनल में एक बार फिर हैट्रिक वाली और दुनिया के पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने लगातार तीन ओलंपिक फाइनल में हैट्रिक की और भारत फाइनल जीता।