सावधानी से चुने माहौल, मित्र एवं जीवनसाथी
अगर आप विजेता बनना चाहते हैं, तो विजेताओं के साथ रहें। अगर आप जीवन में बाज की तरह आसमान छूना चाहते हैं, तो आपको मुर्गों के साथ नहीं रहना चाहिए। जिन लोगों के साथ हम अपना समय बिताते हैं, वे हमारे व्यक्तित्व पर प्रभाव डालते हैं। हम जिन लोगों के साथ आदतन रहते हैं, वे हमारी 95% सफलता या असफलता को तय करते हैं। आप अपना जीवनसाथी भी सावधानी से चुनें। यही एक निर्णय आपके 90 प्रतिशत सुख या दुख का कारण होगा।
हमारी बातचीत के विषय, हमारा दृष्टिकोण, हमारी मानसिकता, यहाँ तक कि हमारी शब्दावली भी हमारे साथियों जैसी बन जाती है। इसलिए, जो माहौल आप चुनते हैं, उसके बारे में सावधान रहें, क्योंकि यह आपको अपने जैसा बना लेगा। आप जो मित्र चुनते हैं, उनके बारे में भी सतर्क रहें, क्योंकि आप भी उन्हीं जैसे बन जाएँगे। यदि आप 10 सफल लोगों के साथ रहते हैं तो 11 सफल व्यक्ति आप ही होंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपका दोस्त नशेड़ी है तो एक दिन आपको भी उसी रास्ते पर धकेल देगा। महात्मा गांधी ने ठीक ही कहा है कि “व्यक्ति अपने सोच से निर्मित प्राणी है। जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।”
हम सभी जीवन में आसान काम करना चाहते हैं और न्यूनतम प्रतिरोध के मार्ग पर चलना चाहते हैं। सुख पाना और दुख से बचना हर इंसान के दो मुख्य लक्ष्य हैं। आपके ज्यादातर लक्ष्यों के पीछे भी इन्हीं दो में से एक कारण होगा। लेकिन दुख और सुख का अनुपात आपके जीवन में समान रहता है, बस समय का अंतर होता है। सफल व्यक्ति शुरुआत में कष्ट उठाता है और बाद में सुख से रहता है। असफल व्यक्ति शुरुआत में सुख से रहता है और बाद में कष्ट उठाता है। जो कम हासिल करना चाहता है, उसे कम त्याग करना पड़ता है, जो ज्यादा हासिल करना चाहता है, उसे ज़्यादा त्याग करना पड़ता है।
डॉ नन्दकिशोर साह