विकसित भारत युवा नेता संवाद यदि सफल हुआ तो बदल जाएगी सियासी दुनिया कमलेश पांडेय/वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयोगधर्मी राजनेताओं में अग्रगण्य हैं।वो नवोन्मेष के लिए जाने-पहचाने जाते हैं। उनके इर्द-गिर्द भी ऐसे ही प्रतिभाशाली लोगों को देखा जाता है। देश को नई राजनैतिक ऊंचाई देने में उनकी एक अनोखी भूमिका है, जिसके कायल सभी लोग हैं। इसलिए, अब उन्होंने युवाओं के लिए ऐतिहासिक “विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग” का आयोजन किया है। इसका हिस्सा बनने के लिए युवाओं ने क्विज कंटेस्ट में भाग लिया और सफल हुए।
इसलिए अब इस बात की चर्चा तेज हुई है कि यदि विकसित भारत युवा नेता संवाद सफल हुआ तो निःसन्देह भारत की सियासी दुनिया बदल जाएगी। यह बदलनी भी चाहिए, क्योंकि दकियानूसी राजनीति यह बहुत हो चुकी है। युवा ही इससे मुक्ति दिला सकते हैं, क्योंकि उनकी नई सोच-समझ उम्दा है। भारतीय सभ्यता-संस्कृति के अनुकूल है। उन्हीं के बल पर तो मोदी 3.0 की सरकार बनी है।
दरअसल, पीएम मोदी की यह पहल उन युवाओं को राजनीति से जोड़ने के प्रयासों का हिस्सा है जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। इसलिए ऐसा करना विकसित भारत के उनके लक्ष्य को प्राप्त करने में युवाओं का अविस्मरणीय योगदान होगा। बता दें कि पीएम मोदी ने पहले अपने 116वें मन की बात कार्यक्रम में और फिर सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा किए गए एक पोस्ट में कहा था कि एक रोचक क्विज यह सुनिश्चित करेगी कि आप 12 जनवरी 2025 को आयोजित होने वाले ऐतिहासिक “विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग” का हिस्सा बन सकें।
बताया गया है कि पीएम मोदी के आह्वान से प्रेरित होकर युवाओं ने mybharat.gov.in के जरिए क्विज में हिस्सा लिया और बाजी मारी। अब सभी युवा इस अहम कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे हैं। चूंकि देश के युवाओं के विचार बहुत अहम है। इसलिए इस नव आयोजन के माध्यम से युवाओं को प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बात साझा करने का मौका मिल रहा है।
बता दें कि पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2024 को लाल किले की प्राचीर से ऐसे युवाओं से राजनीति में आने की अपील की, जिनका पूरा परिवार राजनीति से दूर रहा है। तब उन्होंने कहा था कि ऐसे एक लाख युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए देश में कई विशेष अभियान चलाए जाएंगे। यह विकसित भारत युवा नेता संवाद उसी अग्रगामी सोच का हिस्सा है।
उल्लेखनीय है कि युवा प्रणेता स्वामी विवेकानंद की जयंती, जो राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में जानी जाती है, के अवसर पर 11-12 जनवरी 2025 को दिल्ली में बड़े स्तर पर यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, जिसे विकसित भारत युवा नेता संवाद का नाम दिया गया है। भारत मंडपम में हो रहे इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के लिए 3000 युवाओं को चुना गया है।
उल्लेखनीय है कि इस समारोह में शिरकत करने के लिए विकसित भारत चुनौती चार स्तर की प्रतियोगिता हुई। जिसमें सबसे पहले 15 वर्ष से 29 वर्ष की आयु के युवा ‘मेरा युवा भारत’ (एमवाई भारत) प्लैटफॉर्म पर गत 25 नवंबर 2024 से 5 दिसंबर 2024 तक आयोजित डिजिटल क्विज में भाग लिए और सफल हुए। इस कार्यक्रम में ही प्रतिभाग करने वाले युवा भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे हैं।
बता दें कि भारत एक युवा देश है, जिसकी पचास प्रतिशत आबादी की उम्र लगभग 30 वर्ष है। ये नई आर्थिक नीतियों की छत्रछाया में जन्में व पले-बढ़े बच्चे हैं। इनकी शिक्षा-दीक्षा एवं लालन-पालन तकनीकी परिवेश में हुआ है। इसलिए देश को भावी नेतृत्व प्रदान करने में इनकी अहम भूमिका हो सकती है। यही वजह है कि पीएम मोदी उन्हें वैचारिक रूप से प्रशिक्षित करना/तराशना चाहते हैं और अपनी पार्टी भाजपा से जोड़ना चाहते हैं, ताकि भारत को नेतृत्व देने वाली भावी पीढ़ी तैयार हो सके।
यहां यह याद दिलाना जरूरी है कि कभी पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के ‘सारथी’ रहे नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश-दुनिया को यह समझा दिया कि सियासत कैसे होती है और उसका मकसद क्या होता है? यही वजह है कि अपने 116वें ‘मन की बात’ रेडियो संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती पर प्रकाश डाला और गैर-राजनीतिक युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए दिल्ली में विकसित भारत युवा नेताओं के संवाद की घोषणा की थी।
तब युवाओं की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की भी सराहना की थी और कहा था कि एनसीसी नाम से हमें स्कूल और कॉलेज के दिनों की याद आती है। मैं खुद एनसीसी कैडेट रहा हूं, इसलिए मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इससे मुझे जो अनुभव मिला, वह मेरे लिए अमूल्य है। एनसीसी युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है। इससे एनसीसी के युवाओं को भी राजनीति में आने की प्रेरणा मिलेगी।
वहीं, मोदी ने लोगों से भारतीय प्रवासियों की प्रेरक कहानियों का जश्न मनाने का भी आह्वान किया था, जिन्होंने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और “हमारी विरासत” को संरक्षित किया। ऐसी कहानियों को ‘भारतीय प्रवासी कहानियां’ हैशटैग का उपयोग करके नमो ऐप या माईगव पर साझा करने का उन्होंने सुझाव दिया था। इससे एनआरआई युवाओं व उनके परिवारों का भी राजनीतिक रुझान राष्ट्रीय एकता की भावना पैदा करेगी।
वहीं, पीएम मोदी ने युवाओं के सकारात्मक कार्यों को याद करते हुए कहा कि वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने में भारत की “युवा शक्ति” की करुणा और ऊर्जा सराहनीय है। उन्होंने लखनऊ के एक युवा का उदाहरण दिया था, जो बुजुर्गों को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने में मदद कर रहा है। इसके अलावा, उन्होंने अहमदाबाद के एक व्यक्ति के बारे में भी बात की थी, जो बुजुर्गों को डिजिटल गिरफ्तारियों सहित साइबर अपराधों के बारे में चेतावनी दे रहा है और जागरूक कर रहा है।
इससे स्पष्ट है कि आज के युवा दकियानूसी विचारों-जाति-धर्म-भाषा-क्षेत्र-लिंग आदि विभेदों से परे हैं और विकास के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री भी उन्हें नए राजनीतिक मौके देना चाहते हैं। बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायती निकायों, सूबाई सियासत और केंद्रीय राजनीति में लाखों ऐसे निर्वाचित या संगठनात्मक पद हैं, जिन्हें भरने के लिए योग्य युवा सामने आएं तो यहां जड़ जमाए नाकाबिल लोगों को हटाया जा सकता है। आज राजनीति भी स्थायी रोजगार प्राप्ति का एक बड़ा अवसर है, बशर्ते कि युवा पीढ़ी उस परिवेश में ढल जाए और राष्ट्र निर्माण में ततपर हो जाए। प्रधानमंत्री मोदी भी यही चाहते हैं। इस प्रकार विकसित भारत युवा नेता संवाद यदि सफल हुआ तो वाकई यहां की सियासी दुनिया
बदल जाएगी जिसका श्रेय भी पीएम मोदी को ही जाएगा।

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