डोनाल्ड ट्रंप और चीन-पाकिस्तान की बढ़ती चिंता-बेचैनी
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी 47वें राष्ट्रपति बनने के साथ ही पाकिस्तान की सरकार में मायूसी छा गई है ।
पाकिस्तान सरकार के विरोधी जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से डोनाल्ड ट्रंप के अच्छे रिश्तों के चलते पाकिस्तान सरकार घबराई हुई है।
वैसे भी डोनाल्ड ट्रंप चीन के घोर विरोधी है और एशिया में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके अच्छे रिश्तो ने पाकिस्तानऔर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की बेचैनी को बढ़ा दिया है। डोनाल्ड ट्रंप चीन विरोधी होने के साथ-साथ पाकिस्तानी नीतियों को भी पसंद नहीं करते हैं। इसके अलावा वे बांग्लादेश के मोहम्मद यूनुस को भी बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि मोहम्मद यूनुस ने डोनाल्ड ट्रंप की खुलकर आलोचना की थी ऐसे में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही एशिया की नीतियों के प्रति उनका नजरिया स्पष्ट रूप से बदल जाएगा ।
पाकिस्तान नागरिक विद्रोह की आग में जल रहा हैl यह इतिहास में पहली बार हुआ है कि पाकिस्तान में सेना और आम नागरिक आमने-सामने हैं. इमरान खान को कई केसों में जेल भेज कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छोड़ना पड़ा, पर इमरान पूरी तरह से अभी छूटे नहीं हैl इमरान की गिरफ्तारी में उनके समर्थकों ने सड़क पर आकर जो तोड़फोड़ और सरकारी संपत्ति का नुकसान किया है उस घटना ने पाकिस्तान को 20 साल पीछे धकेल दिया हैl शहवाज शरीफ की सरकार बुरी तरह से घबराई हुई है और वहां के सेना के जनरल मुनीर मार्शल लॉ लगाने की तैयारी में हैl यह उल्लेखनीय है कि सेना के 6, 7 कमांडर इमरान खान के खुले समर्थक हैं इस स्थिति में मार्शल ला लगना भी संभावित नहीं दिखाई दे रहा हैl
पाकिस्तान पहले से ही परेशान, कर्ज में डूबा हुआ और महंगाई, बेरोजगारी से बुरी तरह त्रस्त रहा हैl शहबाज शरीफ सरकार के पास शासन चलाने के लिए पर्याप्त धनराशि भी नहीं हैl शरीफ के पास सरकार चलाने का पर्याप्त अनुभव भी नहीं हैl 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद पाकिस्तान सरकार में 18 प्रधानमंत्रियों में से एक प्रधानमंत्री भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है ।करेला ऊपर से नीम चढ़ा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तानी सेना और शाहबाज शरीफ सरकार की नाक में दम कर रखा है। रावलपिंडी में इमरान खान पर गोली दागने से क्रोधित समर्थकों ने कई जगह सेना पर आक्रमण कर मेजर जनरल, गृहमंत्री राणा और प्रधानमंत्री के निवास को घेरकर तोड़फोड़ की है। इमरान खान के समर्थक अब रावलपिंडी से इस्लामाबाद तक लोंग मार्च करेंगे और सेना तथा सरकार का खुलकर विरोध करने वाले हैं। 1947 से स्वतंत्रता के बाद यह पहली बार हुआ जब सेना के विरुद्ध पाकिस्तानी आवाम खुलकर विद्रोह करने पर आमादा है। ऐसा लगता है कि वहां सरकार तथा सेना के विरुद्ध आम नागरिकों का विद्रोह हो जाएगा। पहली बार सेना के जनरल मुनीर की की सेना आवाम से डरी दिखाई दे रही है, पाकिस्तान विद्रोह की ज्वालामुखी कर बैठा है कभी भी विस्फोटक स्थिति बन सकती है।
यह तथ्य सार्वजनिक है कि पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा शागिर्द देश है। अमेरिका ने इसी के फल स्वरुप पाकिस्तान को सबसे संदिग्ध एवं खतरनाक आतंकवादी देश घोषित कर दिया है। इस बात से तिलमिलाकर शहबाज शरीफ चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं वहां वह आपसी संबंधों को फिर से सुधारने तथा देश चलाने के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाने जाएंगे। पाकिस्तान की हालत बहुत ज्यादा खराब एवं पतली है। पाकिस्तान में रोजमर्रा के खर्चे के लिए पैसे नहीं है और उस पर इमरान खान लगातार सड़कों पर मार्च कर रहे हैं । उन्होंने रावलपिंडी से लेकर इस्लामाबाद तक आंदोलन कर दिया है। चीन ने पाकिस्तान को पूरी तरह से आर्थिक रूप से गुलाम बनाकर अपना शिकंजा कस लिया है। पाकिस्तान की सरकार चीन के रहमों करम पर पूरी तरह से पलती आ रही है। चीन पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्जा देकर उसे अपने गुलाम की तरह बना कर रख दिया है। पाकिस्तान की हुकूमत भले ही चाइना की जी हुजूरी करती आ रही है और उसके हां में हां मिलाती हो पर पाकिस्तानी जनता को न तो चीनी भक्ति पसंद है, ना चीन की कोई उपभोक्ता वस्तु ही पसंद है। पाकिस्तान की आवाम देश में चीन की मौजूदगी और उसकी कई परियोजनाओं से बेहद परेशान होकर आंदोलन के जरिए सड़क पर आ गई है।इसका जमकर विरोध किया जा रहा है। चीन द्वारा संचालित बेल्ट एंड रोड परियोजना पाकिस्तान की आवाम को फूटी आंख नहीं भा रही है। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान के महत्वपूर्ण इलाके ग्वादर में एक परियोजना चला कर वहां जगह जगह पर चेकिंग चौकियां स्थापित कर दी है, जिससे पाकिस्तान की जनता को अनावश्यक चेकिंग की परेशानी को झेलना पड़ रहा है। पाकिस्तान में ग्वादर के इलाके में जहां पर चौकियां स्थापित की गई हैं पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की भारी किल्लत हो गई और अवैध मछली पकड़ने से आजीविका पर खतरा आ गया है, जिस कारण आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है, इसके विरोध में पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम बलूचिस्तान प्रांत के तटीय शहर ग्वादर में कोर्ट रोड के हवाई चौक पर कुछ राजनीतिक दलों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं, मछुआरों और संबंधित नागरिक कार्यकर्ताओं द्वारा विगत 1 सप्ताह से विरोध प्रदर्शन जारी कर दिया गया है। पाकिस्तानी अखबार जंग के अनुसार प्रदर्शन अनावश्यक सुरक्षा चौकियों को हटाने, पीने के पानी और बिजली की उपलब्धता बढ़ाने मकरान तट पर मछली पकड़ने वाली नौकाओं को हटाने और पञ्चगुर से ग्वादर तक ईरान के साथ सीमा को फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं। एक समाचार के अनुसार अधिकार रैली के प्रमुख मौलाना हिदायतउर रहमान ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि यहां के निवासियों के लिए यह अपमानजनक है कि चौकियों पर उन्हें जगह-जगह रोका जाए और उनके पते, ठिकानों के बारे में सख्ती से पूछताछ की जाए,यह चीनी हरकत किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं की जाएगी और आंदोलन को अनवरत जारी रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है वह इसमें टालमटोल कर रही है ऐसी चीजें ना काबिले बर्दाश्त है जिसे किसी भी हद तक सहन नहीं किया जाएगा। क्षेत्र के लोगों ने ग्वादर के लोगों की बुनियादी समस्याओं का हल नहीं निकलने के कारण सरकार की किरकिरी हो रही है। मूलतः चीन की बलूचिस्तान में उपस्थिति पाकिस्तान के आवाम की बड़ी बेइज्जती ही मानी जा रही है। वह किसी भी स्थिति में इस चीनी नियंत्रण को बर्दाश्त करने की मंशा नहीं रखते हैं। गौरतलब है कि चीन की कई परियोजनाएं पाकिस्तान में वहां की जनता के विरोध के बावजूद चल रही है । बलूचिस्तान के कई क्षेत्रों में पाकिस्तान की जनता और इमरान सरकार के नुमाइंदों के बीच खुलकर विरोधाभास दिखाई देने लगा है। पाकिस्तान सरकार के हाथ चीन के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से हाथ बंधे हुए हैं चीन का पाकिस्तान पर इतना ज्यादा कर्जा है कि पाकिस्तान एक तरह से चीन का आर्थिक गुलाम हो चुका है और वह कहीं से भी चीन का विरोध करने की स्थिति में नहीं है ऐसे में आम जनता शरीफ सरकार को बर्खास्त करने के लिए सड़क में उतरने की योजना बना रही है। यह तो विदित है पाकिस्तान मैं शरीफ सरकार के खिलाफ वहां का पूरा मीडिया विपक्षी दल एकजुट होकर शरीफ सरकार को अपदस्थ कर चुनाव कराने या नए प्रधानमंत्री की तलाश कर रहा है,यह पूरी संभावना बन रही है कि आने वाले समय में सरकार को अपदस्थ कर चुनाव की घोषणा की जाएगी। कुल मिलाकर सरकार के खिलाफ आवाम, मीडिया, विपक्षी दलों की विरोधी कार्रवाइयों के चलते पाकिस्तान की स्थिति बहुत ज्यादा नाजुक एवं खराब है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है, केवल चीन ही उसके साथ है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी सरकार का चलना नामुमकिन दिखाई दे रहा है।
संजीव ठाकुर