सवा सौ वर्ष से भी अधिक समय से होती आ रही रामलीला
एक समय गांव के ही लोग अधिकतर पात्रों का अभिनय स्वयं करते थे
संबाद दाता गीता देवी जालौन
कालपी (जालौन)
तहसील मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थिति लगभग 45 सौ की वोटर की ग्राम पंचायत जिसमें 14से 15 हजार की आबादी है जिसमें सामिल है नवलपुरा द्वारकापुरी बसांत ताल नया पुरवा और संतोष नगर सहित पांच मजरे नाम है ग्राम मगरौल जिस गांव ने देश की आजादी की जंग में बढ़ चढ़ कर हिस्सेदारी की और लगभग एक दर्जन स्वतंत्रा सेनानियों ने अपने प्राणों को न्योछावर किया ! मिश्रित आबादी वाले इस गांव मे
आज रामलीला देखने का अवसर मिला ! तो गांव के बुजुर्गो ने बताया कि उक्त रामलीला सवा सौ वर्षों के पहले जब जमीदारी का समय था उस समय से होती आ रही है!तब गांव के जमीदार थे मकुन्द सिंह जिन्होंने अपने पिता उमराव सिंह के नाम से उमरावेश्वर शिव मन्दिर का निर्माण कराया था और उसी समय से उक्त मन्दिर प्रांगण में शिवरात्रि के समय पर राम लीला का मंचन प्रारम्भ कराया था ! एक किस्सा और बताया कि गांव के ही के एक व्यक्ति बायेलल सिंह थे जो बाजीगरी की कला में माहिर थे एक बार जब जमीदार मकुन्द सिंह को उन्होंने अपनी कला दिखाई तो वह बहुत प्रश्न हुए और इनाम मांगने की बात कही तब बायेलाल बाजीगर ने कहा उक्त रामलीला मुझे दे दो में इसे अनवर कराऊंगा तब बायेलाल उक्त रामलीला कराने लगे ! कुछ लोग तो इस मंच को 150 वर्ष पुराना बताते हैं क्योंकि आज मकुन्द सिंह की छठीं पीढ़ी है जो वर्तमान में वहां रहती है! समय बीतता गया लोग बदले समय बदला और वर्तमान समय में रामलीला गांव की ही राम लीला समिति करा रही है ! लोगों का कहना है कि इतने लम्बे समय से हो रही राम लीला किसी भी वर्ष रोकी नहीं गयी सिवाय कोरोना काल के वर्ष में एक बार नहीं हुई!बाकी अनवरत चलती आ रही हैं! अगर देखा जाये तो मगरौल का यह रामलीला मंच जनपद का सबसे पुराना मंच है।
गांव के तमाम लोग स्वयं करते रहे राम लीला के कई पात्रों का अभिनय
कालपी के मगरौल गांव के निवासियों को रामलीला के तमाम पात्रों का अभिनय देखते देखते इतना अनुभव हो गया कि तमाम लोग राम रावण परशुराम हास्य अभिनेता नारद विश्वामित्र आदि जैसे तमाम पात्रों का किरदार स्वयं करने लगे ! अगर इनका नाम गिनाएं तो प्रमुख रूप से और सबसे पहला नाम आता है स्व. हरचरन लाल अवस्थी जी (पुजारी जी) जो कि परशुराम का सुन्दर अभिनय बाखूबी निभाते थे! जिन्हें देखकर गांव के अन्य लोगों की भी रुचि बढ़ी और मंच पर अभिनय करने की लालसा बढ़ी जिनमें महेश द्विवेदी विश्वामित्र छुन्ना त्रिपाठी राम महादेव तिवारी परशुराम व विश्वामित्र, तुलसीराम शुक्ला दशरथ” हुकुम सिंह बाणासुर” रामसनेही द्विवेदी रावण” शंभू शुक्ला हास्य कलाकर, रामबाबू बाजपेई महिला पात्र ,किन्नू पंडित नारद , रघुनाथ निगम केवट ,सुरेंद्र वकील जनक ,रज्जन शुक्ला ऑलराउंडर, राज नारायण मिश्रा रावण’ तेजधारी द्विवेदी वाणाशुर ‘ देवी शरण द्विवेदी राम
, बृजकिशोर मिश्रा राम, जगदीश पाणडेय तड़का ,मुन्दर सिंह रावण, बड़े रईस मारीच व सुबाहू , संजय शुक्ला बाणासुर , दिलीप तिवारी(पुत्तू) रावण, राम औतार द्विवेदी व्यास, सीताराम तिवारी टीकाकार ,की भूमिका का सफलता पूर्वक मंचन करते थे !
वर्तमान समय में टीवी मोबाइल जैसे तमाम ऐसे साधन हो गये कि लोग घर बैठे ही सब कुछ देख सुन लेते हैं जिसके चलते तमाम मंच और मंचन समाप्त होते जा रहे हैं, और लोग मैदान में सजीव न देखकर टी वी मोबाइल पर ही सब कुछ देख लेते हैं ! पर मगरौल ग्राम में अनवरत हो रही रामलीला के आयोजन में न दानियों की कमी हुई न दर्शकों की आज भी लोग खुले मन से पूर्ण सहयोग करते हैं और रामलीला देखते हैं !आज भी आसपास के लगभग एक दर्जन गांव के लोग मगरौल की रामलीला देखने आते हैं!इस वर्ष सोमवार को हुई धनुष यज्ञ की लीला के प्रमुख कलाकारों में राम के अभिनय में अमित जी,लक्ष्मण गोपाल जी महाराज, परशुराम का सुन्दर अभिनय किया श्री त्रिभुवन द्विवेदी ने जनक की भूमिका निभाई अमित शुक्ला ने वहीं गौरव मिश्रा ने रावण और जगमोहन सिंह चंदेल ने वाणाशुर का अभिनय कर दर्शकों का मन मोह लिया!
इस आयोजन में तमाम अड़चनें आती रहीं लोग आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे पर इस महान धार्मिक आयोजन मे गांव की तमाम जनता का पूर्ण सहयोग मिलता रहा है !और उम्मीद है कि मिलता रहेगा !और यह आयोजन एक कीर्तमान स्थापित करेगा !
यूं तो गांव के सभी लोग आयोजन में अपने साम्थ के अनुशार सहयोग करते हैं वहीं अगर विशेष आर्थिक सहयोग की बात करें तो प्रमुख रूप से समिति के सदस्य मुकेश पाल फौजी,बडे़ महाराज,आदित्य मिश्रा,राकेश शुक्ला रविन्द्र मिश्रा, राजेश मिश्रा, अमित सिंह चौहान, शिवा आदित्य मिश्रा,विश्राम सिंह, अरबिन्द द्विवेदी, देवी शरण द्विवेदी, रामानन्द पाण्डेय, राहुल मिश्रा, कन्हैया द्विवेदी का नाम लिया जा सकता है !