अमेरिका, रूस और चीन के आपसी टकराव का परिणाम रूस-यूक्रेन और इजरायल-पीलिस्तीनी युद्ध
अंतर्राष्ट्रीय सामरिक चिंतन
अमेरिका, रूस और चीन के आपसी हितों के टकराव ने ही रूस यूक्रेन और इजरायल पीलिस्तीनी युद्ध की ज्वाला भड़काइ है, पिछले 1 साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध में अब तक कुछ भी निर्णायक बातचीत अथवा हल नहीं निकाला जा सका है। दूसरी तरफ इजराइल फिलिस्तीन युद्ध भी मानवता के लिए एक बड़ा कहर बनकर पूरे विश्व के सामने के खड़ा हुआ है। अमेरिका रूस और चीन की आपसी टकराहट न जाने किस मोड़ पर इन दोनों युद्धों को परमाणु युद्ध में बदलने के अंजाम की ओर ले जा ले। रूस ने यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हथियार उठाने की योजना बनाई थी किंतु भारत के प्रधानमंत्री की मध्यस्थता के कारण यह अनहोनी टल गई। यही स्थिति कमोबेश इजराइल फिलिस्तीन युद्ध में भी बनी हुई है कुल मिलाकर इन चारों देशों के निर्दोष नागरिक इनका शिकार हो रहे हैं। लाखों लोग बेघर हो गए हैं हजारों लोगों की मौत हो गई है।
अमेरिका ने चीन और ताइवान के संबंधों को लेकर ताइवान का खुलकर साथ देने की बात कही जिससे चीन ने आक्रामक होकर इसे अपने अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कहां है और कहा है कि यदि हमारे अंदरूनी मामले में कोई हस्तक्षेप करेगा तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दूसरी तरफ यूक्रेन को लेकर रूस अब बहुत संवेदनशील और आक्रामक हो गया हैl यूक्रेन से रूस ने अब निर्णायक पारी खेलने का मन बना लिया हैl इस तरह अमेरिका यूक्रेन तथा ताइवान को साथ देने के चक्कर में रूस और चीन से सीधा-सीधा टकराने के मूड में आ गया है। यह अलग मुद्दा है की सांडो की लड़ाई में खेतों की मेढ़ बरबाद जरूर होती हैं। इन तीनों महा बलियों की लड़ाई में अन्य पड़ोसी देशों की शांती भंग हो सकती है। दूसरी तरफ अमेरिकी प्रशासन पूरी तरह से यूक्रेन का साथ देने की कटिबद्ध है, एवं पूर्वी यूरोप में अमेरिकी राष्ट्रपति एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रुस पर दबाव डालने के लिए सैन्य बल भेजने की बात कही हैl अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रेस वार्ता के हवाले अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि रूस ने सीमा के आसपास बड़ी संख्या में सैन्य जमवाड़ा कर चुका है, एवं रूसी बलों को तैनात किया हैl जबकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास अन्य सैन्य बल तथा बातचीत के जरिए का विकल्प भी मौजूद हैl वर्तमान की परिस्थितियों में यूक्रेन की सीमा पर लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से कहा कि रूस फरवरी या मार्च के प्रथम सप्ताह तक बड़ा हमला कर सकता हैl व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता एमिली होर्न ने बताया की अमेरिकी राष्ट्रपति ने आशंका जताई है कि रूस फरवरी में यूक्रेन पर सैन्य आक्रमण कर सकता है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लाएड ऑस्टिन ने कहा कि हमारा मानना है कि यूक्रेन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यह अंतिम फैसला नहीं है, जबकि उनके पास कई विकल्प खुले हुए हैं। यूक्रेन पर हमला करने की निसंदेह रूस के पास संपूर्ण क्षमताएं हैं। अमरीकी प्रशासन राष्ट्रपति रक्षा मंत्री ने पुतिन से यूक्रेन पर तनाव कम करने की अपील भी की है। रूस ने कहा है कि वार्ता के द्वारा भी खुले हुए यदि यूक्रेन अपनी हठधर्मिता से पीछे हटता है तो रूस वार्ता के माध्यम से एक मध्य मार्ग के बारे में विचार कर सकता है। पर यूक्रेन अपनी तीनों शर्तों पर अड़ा हुआ वह क्रीमिया महाद्वीप को वापस लेना चाहता है और नाटो की सदस्यता भी चाहता है, रूस द्वारा पाइप लाइन बिछाकर उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर करना चाहता हैं जिसे वह कभी बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं रहेगा। स्पष्ट है कि इस मामले में अमेरिका,ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देश यूक्रेन के साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर सैन्य बल की मदद करने को तैयार है। रूस के पास अब सैन्य बलों द्वारा यूक्रेन पर चढ़ाई करने के अलावा कोई मार्ग शेष नहीं रह जाता है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति की यह आशंका कि रूस यूक्रेन पर फरवरी एवं मार्च के प्रथम सप्ताह में बड़ा हमला कर सकता है निर्मूल नहीं है। अमेरिका ने निर्णय लिया है कि वह पूर्वी यूरोप के सीमा पर एक बड़ा सैन्य बल रूस को टक्कर देने के लिए भेजेगा ।संभवत यह रूस पर दबाव डालने के लिए एक कूटनीतिक घोषणा एवं चाल हो सकती है। कुल मिलाकर यूक्रेन की सीमा पर जिस तरह से सैनिकों का जमवाड़ा इकट्ठा हो गया है, उससे जंग की आशंकाएं बढ़ गई हैं। अमेरिका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के आर्मी जनरल मार्क मिले ने यूक्रेन के निकट तैनात रूसी सेना गंभीर तस्वीर पेश की है। उन्होंने कहा है कि यूक्रेन की सीमा पर उसने जमीन, वायु, जल क्षेत्र में बलों की तैनाती कर दी है, साथ ही रूस के पास साइबर तथा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की क्षमताएं भी हैं। इसके अलावा उसके पास विशेष अभियान दल भी हैं। मिले के अनुसार यह अत्यंत चिंताजनक एवं विचारणीय प्रश्न है कि इसके पूर्व रूस की इतनी लंबी चौड़ी सेना की तैनाती कभी भी यूक्रेन की सीमा पर नहीं देखी गई है। इसका मतलब सीधा और साफ है कि रूस युद्ध के प्रति एकदम गंभीर है एवं यूक्रेन को सबक सिखाना चाहता है। पर इसे वैज्ञानिक विश्लेषक अधिनायकवाद इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाला बताते हैं, जिससे विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ावा मिल सकता है, और विश्व युद्ध होता है तो बहुत बड़ा विनाशकारी युद्ध होने की पूरी संभावना है। मिले ने पुतिन से संघर्ष के बदले कूटनीतिक मार्ग अपनाने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास एक लाख से ज्यादा सैनिक तथा जमीन से जमीन मारक क्षमता वाले टैंक तथा लड़ाकू हवाई जहाज तैनात करके रखे हैं। ऐसे में यूक्रेन जैसे छोटे देश के पास अमेरिका ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देश और नाटो देश के सदस्यों से सैन्य दल लेने के अलावा कोई और रास्ता शेष नहीं बचा है। यह तो तय है कि अमेरिका यूक्रेन की मदद करने के लिए कटिबद्ध है पर बदली हुई परिस्थितियों में यूक्रेन का साथ देने के लिए कहीं अमेरिका अलग-अलग ना पड़ जाए, इसके अलावा उसने चीन को इस मामले में दखल नहीं देने चेतावनी भी दी है। फिलहाल चीन ताइवान मामले में अमेरिका के सीधा सामने है। क्योंकि अमेरिका ताइवान को भी मदद करने का वादा कर चुका है, ऐसे में अमेरिका को कई तरफ अपनी सेनाएं भेजने का काम करना होगा। कुल मिलाकर यूक्रेन, रूस,चीन, ताइवान को लेकर वैश्विक स्तर पर अशांति का माहौल बना हुआ है। कूटनीतिक बातचीत कर इसका हल निकाल कर वैश्विक शांति का संदेश देना चाहिए।
संजीव ठाकुर, चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़, 9009 415 415,