(ग्रामीण अशिक्षित लोगों में अज्ञानता का प्रभाव )
भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में निर्मित कर तो दिया है एवं केंद्र से लेकर हर राज्य के प्रत्येक जिले तक उपभोक्ताओं के हित के लिए उपभोक्ता प्रतितोष फोरम स्थापित किए गए हैं, पर यह कानून ग्रामीण उपभोक्ताओं तक अभी तक नहीं पहुंच पाया है और वे वे विक्रेताओं द्वारा आसानी से उनकी धोखाधड़ी तथा ठगी का शिकार लगातार होते जा रहे हैं। भारतीय संदर्भ में उपभोक्ता आंदोलन को 1966 में जेआरडी टाटा के नेतृत्व में उद्योगपतियों द्वारा उपभोक्ता संरक्षण के तहत फेयर प्रैक्टिस एसोसिएशन की मुंबई में स्थापना की गई थी। इसके अलावा कुछ प्रमुख शाखाएं महत्वपूर्ण शहरों में स्थापित की गई थी। स्वयंसेवी संगठन के रूप में उपभोक्ता पंचायत की स्थापना बी एम जोशी द्वारा 1974 मैं पुणे में की गई थी। इस तरह उपभोक्ता संगठन लगातार आगे बढ़ता रहा है। 24 दिसंबर 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक संसद में पारित किया गया और राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित होने के बाद देशभर में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 लागू कर दिया गया था। इसके पश्चात 1993 तथा 2002 में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए इसके लगातार संशोधन होते रहे हैं। इन संशोधनों के बाद यह कानून अत्यंत सरल सुगम अधिनियम के तौर पर आम जनता के सामने आया है। इस अधिनियम के अंतर्गत के द्वारा स्थापित अर्ध न्यायिक तंत्र के द्वारा पारित आदेशों का पालन न किए जाने पर धारा 27 के अंतर्गत कारावास का दंड और धारा 25 के अंतर्गत कुर्की का प्रावधान भी किया गया है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार हर वह व्यक्ति जो अपने उपयोग के लिए सामान अथवा सेवाएं चाहता है, वह उपभोक्ता विक्रेता की अनुमति से ऐसे समान सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है। अतः हम मेंसे प्रत्येक व्यक्ति उपभोक्ता की श्रेणी में आता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धाराओं के अंतर्गत उपभोक्ता को कुछ अधिकार प्रदान किए गए है,उनमें से
1,उन उत्पादों तथा सेवाओं में सुरक्षा का अधिकार जो जीवन तथा संपत्ति को हानि पहुंचा सकते हैं।
2 उत्पादों तथा सेवाओं की गुणवत्ता मात्रा प्रभाव शुद्धता मानक तथा मूल के बारे में जानने का अधिकार जिससे उपभोक्ता को अनुचित व्यापार पद्धतियों से बचाया जा सके।
3, प्रीतियोगात्मक मूल्यों पर विभिन्न सामान्य तथा सेवाओं तक पहुंच के प्रति आशान्वित होने का अधिकार।
4, धोखाधड़ी के विरुद्ध सुनवाई तथा विनियोजन का अधिकार।
5 अनुचित तथा प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रतिनिधियों द्वारा उपभोक्ताओं के अनैतिक शोषण के विरुद्ध सुनवाई का अधिकार।
6 वक्ताओं को जागरूक करने तथा शिक्षा का अधिकार।
प्रत्येक व्यक्ति जो व्यापारियों उत्पाद को या ऐसी सेवाओं से प्रताड़ित अथवा ठगी का शिकार हुआ है वह उसकी कीमत के अनुसार क्षतिपूर्ति का अधिकार रख जिला राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित उपभोक्ता फोरम पर अपनी शिकायतें दर्ज कर सकता है। यह एक अर्ध न्यायिक तंत्र है इसमें साधारण कागज में अपनी शिकायतों को उक्त सेवाओं की रसीद के साथ उक्त सेवाओं की कीमत के हिसाब से जिला, राज्य, अथवा राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में शिकायत स्वयं जाकर अथवा डाक से भेज कर कर सकता है। शिकायत यदि राशि 20लाख से कम है तो जिला फोरम में शिकायत करें। यदि राशि ₹20 लाखसे अधिक एक करोड़ तक है तो राज्य आयोग के समक्ष और यदि राशि एक करोड़ से अधिक है तो राष्ट्रीय फोरम या आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उपभोक्ता फोरम द्वारा उपभोक्ताओं को प्रदान सामान में खराबी हटाना, सामान को बदलना, चुकाए गए मूल्य को वापस दिलाना अथवा हानि अथवा चोट के लिए क्षतिपूर्ति सेवाओं में कमियां, हटाने के साथ-साथ शिकायतकर्ता को पर्याप्त न्यायालय व्यय वहन प्रदान की राहत दी जाती है।
शहरी उपभोक्ता तो पढ़ा लिखा होने का कारण जागरूक है। वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धाराओं को समझ कर अपनी व्यथा फोरम में दर्ज करा सकता है, पर मूल समस्या ग्रामीण उपभोक्ताओं को जागृत करने तथा उनको व्यापारियों द्वारा ठगे जाने अथवा गुणवत्ता रहित समान दिए जाने के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराने के लिए एवं उपभोक्ता अधिनियम के बारे में जानकारी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
यह उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार है और भारत के मध्यमवर्गीय आम नागरिकों से भारत की बैंकिंग स्थिति बहुत मजबूत भी है। मध्यमवर्गीय लोगों का पैसा बैंकों में जमा है जिसके कारण बैंकिंग व्यवस्था काफी मजबूत है। और यही कारण है कि रूस यूक्रेन युद्ध में पूरे विश्व में पेट्रोल डीजल बढ़ने से महंगाई जरूर बढ़ सकती है पर भारत के संदर्भ में भारतीय बैंकिंग व्यवस्था तथा अर्थव्यवस्था पर एक या दो प्रतिशत से ज्यादा फर्क नहीं पड़ने आने वाला है। पेट्रोल डीजल गैस का सबसे बड़ा उत्पादक देश अमेरिका दूसरे नंबर पर सऊदी अरेबिया तीसरे नंबर पर रूस आता है। रूस पर लगे प्रतिबंधों से जरूर वैश्विक व्यवस्था में एवं उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डल सकता है, पर भारत के उपभोक्ताओं पर वैश्विक अर्थव्यवस्था के डावाडोल होने से बहुत ज्यादा फर्क पड़ने की उम्मीद इसीलिए भी कम है कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था एवं यहां जमा पूंजी वैश्विक स्तर पर अधिक होने के कारण आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब नहीं होने की संभावना है।
भोक्ता संरक्षण दिवस के संदर्भ में नागरिकों को भोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ज्यादा से ज्यादा जागरूक होकर के अधिनियमयों का पालन कर,अपने को धोखाधड़ी और ठगी से बचाना होगा।
संजीव ठाकुर, स्तंभकार, चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़, 9009 415 415,