त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यशाला का आयोजन
कानपुर नगर शताब्दी भवन सभागार, हरकोर्ट बटलर तकनीकी विश्वविद्यालय, कानपुर नगर में “त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम” के अंतर्गत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता रविन्द्र, प्रमुख सचिव, कृषि, उत्तर प्रदेश द्वारा की गई, जबकि मा० कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, सूर्य प्रताप शाही मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में स्वप्निल वरुण, मा० जिला पंचायत अध्यक्ष, कानपुर; सरोज कुरील, मा० विधायक, घाटमपुर; डा० पंकज त्रिपाठी, कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश; दीक्षा जैन, मुख्य विकास अधिकारी, कानपुर नगर; निदेशक, बीज प्रमाणीकरण, उत्तर प्रदेश; जगदीश भट्ट, अपर कृषि निदेशक (गेहूँ एवं मोटा अनाज), उत्तर प्रदेश; टी०एम० त्रिपाठी, अपर कृषि निदेशक (कृषि रक्षा), उत्तर प्रदेश सहित प्रदेश के समस्त मंडलों के संयुक्त कृषि निदेशक, जनपदों के उप कृषि निदेशक तथा अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए लगभग 500 कृषकों ने मक्का फसल की नवीनतम कृषि तकनीकों की जानकारी प्राप्त की।
मा० कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्व में प्रदेश में रबी फसल के बाद बड़ा क्षेत्रफल खाली रह जाता था। इसी को दृष्टिगत रखते हुए जायद फसलों के आच्छादन को बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप आज उत्तर प्रदेश में जायद में मक्का का क्षेत्रफल बढ़ा है। उन्होंने निर्देश दिए कि अधिक उत्पादकता वाली एवं क्षेत्र विशेष के अनुकूल प्रजातियों का बीज उपलब्ध कराया जाए तथा कृषकों को कृषि तकनीकी की जानकारी सरल भाषा में दी जाए। उन्होंने कहा कि सरकार का निरंतर प्रयास है कि कृषकों को समय से बीज एवं उर्वरक उपलब्ध हो सकें। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष 10 दिसम्बर तक अनुदान पर बीज का वितरण किया गया, क्योंकि समय से बुवाई न होने पर उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कृषकों को आलू फसल के तुरंत बाद मक्का की बुवाई करने हेतु प्रेरित किया, जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके।
प्रमुख सचिव, कृषि, उत्तर प्रदेश ने अपने संबोधन में कहा कि जनपद कानपुर नगर में मक्का फसल के अधिक आच्छादन को देखते हुए इस गोष्ठी का आयोजन किया गया है, ताकि आगामी जायद सत्र में अधिक से अधिक कृषक मक्का की खेती के लिए प्रेरित हों। उन्होंने बताया कि मक्का का उपयोग मुख्य रूप से पशुचारा एवं एथेनॉल निर्माण में हो रहा है, जिसके कारण इसकी मांग निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने अवगत कराया कि प्रत्येक जनपद में मक्का ड्रायर स्थापित करने का प्रस्ताव है, जिसके संचालन हेतु संबंधित जनपद द्वारा एफ०पी०ओ० का चयन कर प्रस्ताव भेजा जाना आवश्यक है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए, जिससे डिस्टिलरी द्वारा किसानों से मक्का उसी प्रकार क्रय किया जाए, जैसे चीनी मिलों द्वारा गन्ने का क्रय किया जाता है, ताकि किसान निश्चिंत होकर मक्का का उत्पादन कर सकें। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग अपने केंद्रों पर 80 से 110 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता वाली प्रजातियों का बीज उपलब्ध कराएगा तथा किसानों को समय से बुवाई करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश ने बताया कि प्रदेश गेहूँ एवं चावल उत्पादन में प्रथम स्थान पर, बाजरा, मसूर एवं राई/सरसों में द्वितीय स्थान पर तथा दलहनी फसलों में चतुर्थ स्थान पर है, जबकि मक्का की उत्पादकता के दृष्टिगत प्रदेश 16वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि फसल सघनता बढ़ाने की दिशा में किए गए प्रयासों का ही परिणाम है कि मक्का के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई है। मानव भोजन के अतिरिक्त पशु आहार, एथेनॉल तथा पोल्ट्री क्षेत्र में बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश में मक्का के उत्पादन एवं उत्पादकता की अपार संभावनाएं हैं।
अपर कृषि निदेशक (गेहूँ एवं मोटा अनाज), उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदेश में मक्का फसल के आच्छादन को बढ़ाने की रणनीति के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।

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