लेफ्टीनेंट कर्नल महावीर सिंह, वीर चक्र (मरणोपरांत)

वीरगति दिवस पर विशेष
साल था 1947, देश में आजादी की सुबह हुई ही थी, सूरज ने अपनी किरणों को बिखेरना शुरू किया था , तभी जलन से ग्रसित पाकिस्तान ने हमारे देश पर कबाईलियों के वेष में आक्रमण कर दिया। जिस समय पाकिस्तान द्वारा आक्रमण किया गया उस समय जम्मू-कश्मीर स्वतंत्र रियासत थी। इस आक्रमण को झेलने की क्षमता न रखने वाली जम्मू कश्मीर रियासत ने तब भारत में विलय की घोषणा कर दी । इसके पश्चात तत्कालीन भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर रियासत को बचाने के लिए वहां सेना भेजने का निर्णय लिया।
2 राजपूताना राइफल्स को राजौरी सेक्टर में युद्ध के मोर्चे पर तैनात किया गया था। लेफ्टिनेंट कर्नल महावीर सिंह, 2 राजपूताना राइफल्स में तैनात थे। 09 सितम्बर 1948 की रात में लेफ्टीनेंट कर्नल महावीर सिंह को दुश्मन पर हमला करने का आदेश मिला। उन्होंने अपनी दो कंपनियों के साथ राजौरी सेक्टर में स्थित धार घाटी के रिज पर स्थित दुश्मन के एक महत्वपूर्ण सामरिक स्थान पर हमला बोल दिया। यहां पर पाकिस्तानी सेना काफी मजबूत स्थिति में थी, मजबूत मोर्चाबंदी के कारण दुश्मन पर विजय पाना मुश्किल काम था । लेफ्टीनेंट कर्नल महावीर सिंह ने रात में आगे बढ़कर सुबह के समय हमला करने का निश्चय किया। इनकी दोनों कंपनियों ने योजना के अनुसार दुश्मन के ऊपर जोरदार हमला किया। 2 राजपूताना राइफल्स के इस एकाएक हमले से पाकिस्तानी सेना भौचक्का रह गयी। सही समय पर योजनाबध्द आक्रमण के कारण दुश्मन भाग खड़ा हुआ और 2 राजपूताना राइफल्स के सैनिकों ने उस सामरिक स्थल पर कब्जा जमा लिया। इस युद्ध में लेफ्टीनेंट कर्नल महावीर सिंह लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
लेफ्टीनेंट कर्नल महावीर सिंह को उनके साहस, वीरता और नेतृत्व कौशल के लिए मरणोपरान्त वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
आई सी – 465, लेफ्टीनेंट कर्नल महावीर सिंह का जन्म 01 सितम्बर 1917 को जनपद मेरठ की तहसील सरधना के गाँव दौराला में चौधरी रघुबीर सिंह के यहाँ हुआ था। 15 अक्टूबर 1940 को इन्होंने भारतीय सेना में कमीशन लिया और 2 राजपूताना राइफल में पदस्थ हुए। यह एक साहसी सैनिक थे। अपने साहस, वीरता और नेतृत्व कौशल के बल पर उन्होंने दुश्मन के महत्वपूर्ण स्थल पर कब्जा जमाया। यह जनपद मेरठ के पहले अधिकारी हैं जिन्हें वीर चक्र प्रदान किया गया है।
– हरी राम यादव
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