एक गोष्ठी “एम्पॉवरिंग ऑटिस्टिक वॉइसेस, डिफरेंट, नॉट लेस” का आयोजन किया गया

आज 2 अप्रैल, विश्व ऑटिस्म जागरूकता दिवस के अवसर पर पुष्पा खन्ना मेमोरियल सेण्टर एवं अकेडेमी ऑफ़ पेडिएट्रिक, कानपुर चैप्टर के संयुक्त के तत्वाधान में एक गोष्ठी “एम्पॉवरिंग ऑटिस्टिक वॉइसेस, डिफरेंट, नॉट लेस” का आयोजन हुआ, जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में कानपुर के जाने माने बच्चों के डॉक्टर यशवंत राव एवं अकेडेमी ऑफ़ पेडिएट्रिक कानपूर चैप्टर की अध्यक्षा डॉ. रोली श्रीवास्तव एवं सचिव डॉ. अमितेश यादव मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए। पुष्पा खन्ना मेमोरियल सेंटर की डायरेक्टर रूमा चतुर्वेदी इस कार्यक्रम का नेतृत्व किया।कार्यक्रम को गति देते हुए सेंटर की डायरेक्टर रुमा चतुर्वेदी ने बताया कि आटिज्म एक न्यूरो-डेवलपमेंटल स्थिति है जो मुलभुत रूप से किसी व्यक्ति के बातचीत के तरीकों, सामाजिक मेलजोल और व्यवहार की क्षमता को प्रभावित करती है। मगर कई बार गलती से ऑटिज्म को मानसिक मंदता का एक रूप समझ लिया जाता है, यह सिर्फ एक सामान्य न्यूरो स्थिति है जो किसी व्यक्ति को आसपास के वातावरण का समझने का एक अलग नजरिया प्रदान करती है जो कई बार सामान्य से अलग होता है। सही जानकारी न होने के कारण हम ऑटिज्म से प्रभावित व्यक्ति को स्वीकार करने, उसे अपनाने के बजाय, उसकी उपेक्षा करते हैं उसके साथ भेदभाव करते हैं।डॉ यशवंत राव ने बताया की आज कल ऑटिज्म कई मामले देखने को मिल रहे है, हम जितना जल्दी इन लक्ष्णों को पहचान कर उन पर काम करेंगे बच्चे में उतना ही अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगाडॉ. रोली श्रीवास्तव ने समाज में इसके प्रति जागरूकता और सामाजिक एकजुटता पर जोर देना चाहिए।डॉ. अमितेश यादव ने बताया बच्चों को देखते वक़्त अभिभावकों में कई भ्रांतिया होती है जिसकी वजह से वो समय पर इस पर ध्यान नहीं देते और पूजा पाठ व कई अन्धविश्वाशों में लगे रहते है जिससे बच्चे को कोई लाभ नहीं होता।