अधिवक्ता वृत्ति की हत्या का प्रयास है अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 –पं रवीन्द्र शर्मा

कानपुर आज अधिवक्ता कल्याण संघर्ष समिति की अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 पर हुई समीक्षा बैठक में बोलते हुए संयोजक पं रवीन्द्र शर्मा पूर्व अध्यक्ष लॉयर्स एसोसिएशन ने कहा कि पूरा प्रस्तावित संशोधन अधिवक्ता विरोधी है जिनमे से धारा 4 द्वारा केंद्र सरकार का अपने 3 सदस्य नामित कर अधिवक्ताओ की सर्वोच्च संस्था बार काउंसिल आफ इंडिया पर कब्जा करने का प्रयास है
धारा 35 ए के द्वारा अधिवक्ता और अधिवक्ता संस्थाओं को हड़ताल करने या कार्य से विरत रहने से रोक देंगी । जो संविधान की मूल भावना के विपरीत है संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत प्राप्त विरोध के अधिकार को इस संशोधन के द्वारा छीना जा रहा है जो अधिवक्ताओं को गूंगा और गुलाम बनाने के साथ अधिवक्ता वृत्ति की हत्या का प्रयास है।
धारा 45 बी के द्वारा अधिवक्ता की शिकायत होने पर जांच विशेष लोक शिकायत निवारण समिति करेगी जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज या किसी हाईकोर्ट के पूर्व जज होंगे और हाई कोर्ट के दो पूर्व जज एक सीनियर एडवोकेट और एक बी सी आई मेम्बर होगा । फिर अधिवक्ता को दंडित किया जा सकता है और 3 लाख तक जुर्माना लग सकता है और कंज्यूमर फोरम में वाद आ सकता है जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ( अधिवक्ता कंज्यूमर फोरम के दायरे से बाहर )के विपरीत है
धारा 49 ए केंद्र सरकार को बार काउंसिल आफ इंडिया को निर्देश देने की शक्ति प्राप्त होगी।
धारा 49 A1 केंद्र सरकार को विदेशी विधि फर्मो या विदेशी वकीलों के प्रवेश के लिए नियम बना उन्हे भारत में वकालत की अनुमति देगी क्या भारत के वकील सक्षम नहीं है जो विदेशी वकील बुलाए जाएंगे । यह तो ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह होगा।
अधिवक्ता विरोधी संशोधन तो ले आए किंतु अधिवक्ताओं की सुरक्षा हेतु अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम नहीं कोई सामाजिक सुरक्षा ( पेंशन स्वास्थ्य बीमा)आदि नही ।
हमारा मानना है कि अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन से ही संविधान के बदलने की शुरुआत होगी और अधिवक्ता वृत्ति की तो हत्या हो जायेगी। ये न्यायपालिका के मजबूत स्तम्भ अधिवक्ताओ को कमजोर कर न्यायपालिका पर कब्जे का प्रयास है जिसे देश का करीब 25 लाख अधिवक्ता कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
हमारा कानपुर सहित देश के सभी अधिवक्ताओं और जन सामान्य से आग्रह है कि भारत की न्याय पालिका को बचाने के लिए आप सभी अपना अपना विरोध दर्ज कराएं। ।
हमारी मांग है कि विधि मंत्रालय तत्काल प्रस्तावित संशोधन विधेयक वापस ले अन्यथा अधिवक्ता समाज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए सड़कों पर उतरेगा जिसकी जिम्मेदारी विधि मंत्रालय भारत सरकार की होगी
प्रमुख रूप से राम नवल कुशवाहा अरविन्द दीक्षित अनूप जायसवाल संदीप श्रीवास्तव प्रियंका बाजपेई जया कुमारी के पी हजारिया सदा वारसी विनय मिश्रा संजीव कपूर शिवम गंगवार श्रवण शुक्ला मोहित शर्मा नरसिंह यादव पंकज साहू शैलेंद्र शुक्ला इंद्रेश मिश्रा वीर जोशी आदि रहे।