नव वर्ष के स्वागत पर वरिष्ठ साहित्यकारों की संस्था राष्ट्रीय हिंदी साहित्य विकास संस्थान रायपुर द्वारा नव वर्ष का स्वागत काव्य की पंक्तियों के साथ बरसाना एंक्लेव टाटीबंध में 2 जनवरी की संध्या में कुछ यूं किया ।
काव्य गोष्ठी में कवि संजीव ठाकुर, डॉ जे के डागर, डॉक्टर मानिक विश्वकर्मा, डॉक्टर सुरेंद्र तिवारी, डॉ महेंद्र ठाकुर ,राजेश जैन राही और के पी सक्सेना व्यंग्यकार ने बढ़ चढ़कर अपनी सहभागिता रखी।
चिंतक, लेखक, स्तंभकार, कवि संजीव ठाकुर ने नए वर्ष में पंक्तियां कहीं-
कुछ फूलों ने गगन को चूमा
कुछ भंवरों ने फूलों को चूमा
कुछ पल कानों में मधु रस घोल गए,
कुछ पल वियोग का रस छोड़ गए,
कुछ पल भक्ति संगीत घोल गए
कल की मायूसी को हम भूल गए।
नए सूरज की नई बेला में
स्वागत वंदन करें नव वर्ष का
इस नई रोशनीं के नव सवेरा में।
डॉ सुरेंद्र तिवारी ने अपनी पंक्तियों रखी
मौजे तूफां में नापा है कश्ती ने गहराइयों को.
परिंदे के हौसलों ने जान लिया ऊँचाइयों को.
मोहब्बत अदावत अंदाजे बयां ये गुफ्तगूं
अब तो भूला दिया सुरेश रूसवाइयों को.
डॉ महेंद्र ठाकुर जी फूलों की व्यथा सुनाई
मैंने सोचा था मैं तेरे सवरें माथे के बीच सजूगा
पर क्या बनता सिंदूर महावर हीं न बन पाया जब भाग्य मेरा।
डॉक्टर मानिक विश्वकर्मा ने कहा
कसर छोड़ी नहीं हमने किसी की कद्रदानी में
बुरा लगता है हर मंज़र जियादा बद्गुमानी में।
राजेश जैन ‘राही’
नहीं महफ़ूज है ख़ुशबू किसी भी इत्रदानी में नवल क़दम नव राह पर, नवल-नवल हों गीत,
नवल गात नव पात हो, नवर-नवल हो जीत।
डॉ जे के डागर ने अपनी पंक्तियां यूं रखी
आज की कविता
चुप हो जाओ मत बोलो,
चुप रहना मत बोलो
शब्द बाद में निकलें मुख से पहले उनको तोलो ,
चुप हो जाओ मत बोलो,
कवि गोष्ठी में के पी सक्सेना ने अपने व्यंग्य और गजलें पढ़ी, इस अवसर पर अनेक काव्य रसिक एवं श्रोता बड़ी संख्या में मौजूद थे। सभी कवियों ने नव वर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित की एवं नव वर्ष के आगमन पर मिठाई खाकर नव वर्ष का स्वागत किया। कभी गोष्ठी के आयोजन डॉ जे के डागर ने सभी कवियों और श्रोताओं का नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ धन्यवाद ग्यापित किया।