कानपुर नगर उपदेश टाइम्स
प्रदूषण के दिनों-दिन बढ़ते ग्राफ के बीच कानपुर मेट्रो ने भी निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल से निपटने के प्रयास और तेज कर दिए हैं कॉरिडोर-1 के बैलेंस सेक्शन यानी चुन्नीगंज स्टेशन से नौबस्ता स्टेशन तक और कॉरिडोर-2 (सीएसए-बर्रा-8) के सभी निर्माण स्थलों पर लगातार पानी के टैंकर और एंटी स्मोग गन से जल का छिड़काव किया जा रहा है इसके अलावा प्रदूषण के रोकथाम के लिए यातायात लेन पर मैकेनिकल स्वीपिंग, आरएमसी प्लांट में व्हील वॉशिंग, निर्माण स्थलों पर व्यवस्थित बैरिकेडिंग आदि प्रयास भी जारी हैं इन सभी प्रयासों से जुड़े फोटो प्रतिदिन मीडिया और यूपीएमआरसी के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर साझा किए जा रहे हैं, मेट्रो परियोजनाओं के विकास के आधार में पर्यावरण संरक्षण का कारक प्रमुख होता है कानपुर मेट्रो द्वारा सिविल निर्माण और परिचालन के क्षेत्र में उठाए जा रहे विभिन्न पर्यावरण हितैषी उपायों से शहर में आने वाले कल की तस्वीर बेहतर होने की उम्मीद जगी है इसकी एक झलक पर्यावरण मंत्रालय के ‘पोर्टल फॉर रेगुलेशन ऑफ एयर पॉल्युशन इन नॉन अटेनमेंट सिटीज‘ (प्राना) द्वारा इस साल मई में जारी की गई रैंकिंग में भी दिखती है जहां कानपुर प्रदूषण नियंत्रण के मामले में देश के अंदर पहले स्थान पर आया था विदित हो कि सिविल निर्माण कार्य हवा में पीएम 10 के कण फैलाने में एक अहम कारक होते हैं पिछले वर्षों से तुलना करें तो पता चलता है कि वर्ष 2019-20 के बाद से शहर में औसत पीएम 10 की मात्रा में लगातार सुधार हुआ है गौरतलब है कि कानपुर मेट्रो का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में आरंभ हुआ था शहर के अंदर इतने बड़े स्तर पर किए जा रहे सिविल निर्माण कार्य के बावजूद साल दर साल पीएम 10 की मात्रा में सुधार मायने रखता है ऐसा इसलिए सम्भव हो सका क्योंकि कानपुर मेट्रो ने सिविल निर्माण के दौरान प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रतिबद्धता के साथ प्रयास किए आँकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2019-20 में कानपुर में पीएम 10 की औसत मात्रा 200 थी जो 2020-21 में घटकर 169 हो गई उत्तरोत्तर यह मात्रा घटती चली गई और 2022-23 में 143 के स्तर तक पहुंच गई, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने कहा कि, ‘‘अन्य सार्वजनिक परिवहन के साधनों की तुलना में मेट्रो पर्यावरण की सबसे अच्छी मित्र है क्योंकि मेट्रों प्रणाली ज़ीरो कार्बन एमिशन के साथ संचालित होती है ब्रेकिंग के माध्यम से ऊर्जा सृजित एवं संरक्षित करने के लिए मेट्रो ट्रेनों एवं लिफ़्ट्स में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली का प्रयोग, मेट्रो ट्रेनों में एयर कंडीशनिंग सिस्टम को नियंत्रित करने के लिए एचवीएसी प्रणाली का प्रयोग, कानपुर मेट्रो डिपो में स्थापित 1 मेगावाट का सोलर प्लांट, जल संरक्षण के लिए वायडक्ट के नीचे पिट्स की व्यवस्था तथा संपूर्ण मेट्रो सिस्टम में 100 प्रतिशत एलईडी लाइटिंग आदि कदम, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कानपुर मेट्रो के प्रयासों के कुछ उत्कृष्ट उदाहरण हैं हम भविष्य में भी इसी प्रतिबद्धता के साथ पर्यावरण के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते रहेंगे‘‘