राष्ट्रीय कार्यालय लखनऊ में लखनऊ के निर्माता वीर शिरोमणि महाराजा लाखन पासी की जयंती मनाई गई
कानपुर नगर /लखनऊ उपदेश टाइम्स
लाखन आर्मी कानपुर की टीम ने लखनऊ के राष्ट्रीय कार्यालय में वीर शिरोमणि महाराजा लाखन पासी की जयंती मनाई। प्रदीप रावत, दीपक पासी ने संयुक्त रूप से बताया कि लखनऊ महाराजा लाखन पासी के नाम से बसाया गया था। लाखन पासी का राज्य 10-11 वीं शताब्दी में था। लखनऊ का लाखन का किला बताता है कि यह किला डेढ़ किलोमीटर लम्बा तथा उतना ही चौड़ा था। यह किला धरातल से 20 मीटर ऊंचा था। उक्त किले के मुख्य भाग पर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज स्थापित है। यही स्थान लाखन पासी किले के नाम से जाना जाता है। टीले पर ही बड़ा इमाम बाडा़ मेडिकल कॉलेज, मच्छी भवन टीलें वाली मस्जिद तथा आस पास का क्षेत्र है। महाराजा लाखन पासी की पत्नी का नाम लखनावती था। संभवतः कुछ दिनों तक इसीलिए लखनऊ का नाम भी लखनावती चलता था। महाराजा लाखन पासी ने लखनावती वाटिका का निर्माण कराया था। जिसके पूर्वी किनारे पर नाग मंदिर भी बनवाया था। लाखन राजा नाग उपासक थे। किले के उत्तरी भाग में लाखन कुंड था। उस कुंड के जल का प्रयोग राज परिवार के लोग करते थे। सोलहवीं शताब्दी में लखनऊ पर राज्य कर रहे शेखजादों ने इस कुंड में रंग बिरंगी मछलियों को पाला था इसी कारण उस कुंड का नाम मच्छी कुंड पड़ गया। शेखजादों ने कालांतर में इसी स्थान पर 26 द्वार के एक दिव्य भवन का निर्माण कराया था, जिसके प्रत्येक द्वार पर मछलियों के एक जोड़े का भी निर्माण कराया गया था। इसी कारण भवन का नाम मच्छी भवन रखा गया था। इतिहास के पन्नों में अंकित है कि सैयद सालार मसूद गाजी ने जब लखनऊ पर हमला किया था तो उसके प्रमुख सेनापति सैयद हातिम और सैयद खातिम ने राजा लाखन के राज्य की सीमा पर स्थित गढ़ी जिंनजौर में अपना पड़ाव डाला था। यहीं से गुप्तचरों के माध्यम से किले की सारी गतिविधियों की जानकारी कर तय किया था कि राजा लाखन और कसमंडी के राजा कंस दोनों मित्र हैं दोनों पर एक ही दिन हमला किया जाय ताकि वह एक दूसरे की मदद न कर सके। उस समय की गाजी मियां और पासियों की लड़ाई राजपाट की थी। जैसा औरंगजेब के भाईयों के प्रति था। परिणाम स्वरूप दोनों राजाओं पर सैय्यद सालार मसूद गाजी की फौज ने ठीक होली के दिन हमला किया,हमला उस समय शाम को किया, जब लाखन पासी दुर्ग में आराम कर रहे थे। होली के पर्व को मना कर उनके सिपाही भी आराम कर रहे थे।किले पर अचानक हुए आक्रमण का समाचार सुनकर राजा घोड़े पर सवार होकर फौज के साथ रण भुमि में जा डटे। यह युद्ध बड़ा भयंकर था इसमें भीषण रक्तपात हुआ। राजा लाखन के सैनिक गाजी की सेना पर भूखे शेरों की भांति टूट पड़े। मसूद की सेना में सभी घुड़सवार थे, उन्होंने राजा लाखन को चारो ओर से घेर लिया फिर भी राजा लाखन पासी मोर्चा संभाले रहे उन पर तलवार के हमले किये जा रहे थे। यह हमला बड़ा ही भयानक था,धोखे से गाजी के एक सैनिक ने पीछे से राजा की गर्दन पर तलवार मार दिया। राजा लाखन का सर कट कर लुढ़कता हुआ जा गिरा। इस भीषण लड़ाई के बाद उस जगह का नाम सरकटा नाला पड़ा। चौपटिया नामक स्थान पर स्थित अकबरी दरवाजे के पास ही युद्ध हुआ था। जिस समय राजा का धड़ सर से अलग हुआ था उस समय सर कटने पर भी राजा का धड़ दोनों हाथों में तलवार लिए घोड़े पर सवार भयानक युद्ध कर रहे थे, गाजी के कई सैनिक मारे गए थे। बिना सर के धड़ की करामात देख गाजी के सैनिक भी घबरा गए थे।ऐसे बहादुर थे राजा लाखन पासी। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जिला अध्यक्ष प्रदीप रावत पासी, जिला मंत्री जितेंद्र कुमार पासी जिला उपाध्यक्ष सुयश पासी, जिला कार्यकारिणी अध्यक्ष दीपक पासी,जिला महासचिव शेष नारायण उर्फ गुड्डन पासी,जिला मंत्री जितेंद्र पासी, महाराजपुर विधानसभा सचिव छत्रपाल पासी,समाज सेवक जगदीश पासी,उमेश पासी आदि जयंती के अवसर पर मौजूद रहे।