मन की गांठें खोले हिन्दी , जीवन में रस घोले हिन्दी
अभ्युदय अंतर्राष्ट्रीय संस्था की उत्तर प्रदेश शाखा
के द्वारा हिन्दी पखवाड़ा के अन्तर्गत आभासी माध्यम से ‘हिन्दी : राष्ट्रभाषा होने में संभावनाएं और चुनौतियां ‘ विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया l
कार्यक्रम का आरंभ प्रो. रचना शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना से किया।
तत्पश्चात् संस्था अध्यक्ष डॉ. इंदू झुनझुनवाला ने सभी अतिथियों का स्वागत कर अभिनन्दन किया । उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि त्रिभाषा का सूत्र उत्कृष्ट है। सबको समग्र रुप से हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकार करनी चाहिए।
विशिष्ट वक्ता के रूप में लंदन से जुड़ी ई-पत्रिका लेखनी की संपादिका शैल अग्रवाल ने कहा की हिन्दी भाषा की अनेकानेक बोलियों में वर्चस्व की लड़ाई है। सभी अपनी भाषा को लाना चाहते हैं। इसीलिए हम एकता की बात नहीं कर रहे।
कुशीनगर के युवा कवि सुनील चौरसिया सावन ने अपने वक्तव्य में कहा कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन में स्नातकोत्तर शिक्षक (हिन्दी) पद पर अपनी सेवाएं प्रदान करते हुए एवं साहित्य सृजन करते हुए सरल एवं सरस भाषा का प्रयोग कर पूर्वोत्तर भारत एवं दक्षिण भारत में भी उन्होंने हिन्दी की कल्याणकारी सरिता को प्रवाहित करने की हर संभव कोशिश की और सफलता भी मिली। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने की पूरी संभावना है। हिन्दी भावात्मक भाषा है। कवि सावन ने अपने लोकप्रिय गीतों को सुनाकर अपने काव्य संग्रह हाय री! कुमुदिनी से हिन्दी भाषा को समर्पित कविताएं प्रस्तुत कीं- मन की गांठें खोले हिन्दी ,जीवन में रस घोले हिन्दी । मैं भी बोलूं , तुम भी बोलो, मन से जन-जन बोलें हिन्दी…. उन्होंने बताया कि वह अपने यूट्यूब चैनल सुनील चौरसिया सावन पर स्वरचित गीतों का गायन कर हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि चुनौतियों में राजनैतिक इच्छा शक्ति का अभाव, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्पर्क भाषा के रूप में अंग्रेजी से मुकाबला इत्यादि पहल से बहुत शीघ्र ही हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा बनेगी।
डा. स्नेह लता , डॉ. किरन सहाय , डॉ. नीलम सिंह और
प्रो. रचना शर्मा ने भी हिंदी: राष्ट्रभाषा होने की संभावना एवं चुनौतियां विषय पर सारगर्भित प्रकाश डाला।
कुशल मंच संचालन करते हुए डॉ. संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी का विस्तार अर्श से फर्श तक है। हिन्दी तो सोलह कलाओं से युक्त है, जिसमें सोलह श्रृंगार है और सोलह संस्कार है।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए वरिष्ठ कवयित्री , रंगकर्मी तथा उत्तर प्रदेश शाखा की अध्यक्षा डॉ. मंजरी पांडेय ने कहा कि अब हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की मुहिम चलाई जानी चाहिए। देश के हर नागरिक को निज-निज भाषा के संदर्भ को छोड़कर मिल-बैठकर चर्चा और हिन्दी के लिये एक आम सहमति बनानी होगी।
इस अवसर पर ज्योति तिवारी, साहित्यकार यशपाल सिंह ,चंदा प्रहलादका,बीएल प्रजापति तथा छात्र छात्राओं में अर्थव, आदर्श,श्रेया, रिदम, नीतिन, समृद्धि,पलक, आस्था, सृष्टि आदि आभासी माध्यम से उपस्थित रहे।