शिक्षा के अनवरत स्रोत ,राष्ट्र निर्माण के शिल्पी शिक्षक, । शिक्षकों का स्थान सर्वोपरि, उन्हें नमन
वैसे तो हर बालक की प्रथम शिक्षिका माता ही होती है पर जीवन के संसार में प्रवेश के बाद शालाओं, पाठशालाओं और विश्वविद्यालय के शिक्षको की भूमिका उसके संपूर्ण जीवन में बालकों,छात्रों के लिए दिग्दर्शक और श्रेष्ठ नागरिक निर्मित करने की होती हैl डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा “कि शिक्षक वह नहीं है जो विद्यार्थी के दिमाग में तथ्यों को बोझ बनाएं बल्कि वास्तविक शिक्षक वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें” द फिलॉसफी ऑफ ऑफ उपनिषद, ईस्ट वेस्ट सम रिफ्लेक्शंस, इंडियन फिलासफी, हिंदी व्यू ऑफ लाइफ जैसी गूढ किताबों की रचना करने वाले 40 वर्ष तक शिक्षक का कार्य सफलतापूर्वक निर्वहन करने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रूप में हम बड़े आदर श्रद्धा पूर्वक मनाते हैंl पर वर्तमान में शिक्षा के निजीकरण के बाद शिक्षा एक व्यवसाय का रूप लेती नजर आ रही है, इसलिए शिक्षकों को व्यवहार में भी काफी परिवर्तन देखा गया है और यही कारण है कि शिक्षकों के सम्मान एवं आधार में कुछ वर्षों से काफी कमी आई है ।शिक्षकों के सम्मान में आई इस कमी के लिए केवल छात्र, वर्तमान का भौतिक युग और अभिभावक ही दोषी नहीं है बल्कि शिक्षक भी इस में समान रूप से कहीं न कहीं दोषी पाए गए हैं। शिक्षक दिवस मनाने के उद्देश्य न केवल विद्यार्थियों शिक्षकों के महत्व को बताते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए प्रेरित करना है बल्कि शिक्षकों को उनकी भूमिका एवं उत्तरदायित्व का आभास भी करवाने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है विद्यार्थियों में आनंद का भाव और ज्ञान के आनंद को पैदा करना शिक्षकों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण और कार्य हैl वैसे तो यह सर्वविदित है कि शिक्षक महोदय का कार्य अध्यापन करना होता है किंतु अध्यापन के उद्देश्य की पूर्ति तब ही हो सकती है जब इसके अतिरिक्त विद्यालय महाविद्यालय की अनुशासन व्यवस्था में सहयोग करके शिष्टाचार का पालन अपने सहकर्मियों के साथ सकारात्मक व्यवहार एवं पाठ्यक्रम के अन्य क्रियाकलापों में भी अपनी सहभागिता एवं सहयोग रखना भी होता हैl शिक्षकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह एक आदर्श रूप सदैव धारण किए रहे और अनुशासन ,समय की प्रतिबद्धता एवं जितने भी कार्य का दायित्व उसे सौंपा जाए वह उसे 100% निष्ठा और कर्तव्य परायणता के साथ संपादित करें ।आज हम यह भूल जाते हैं कि शिक्षक भी एक इंसान ही होता है वह हर कार्य में संपूर्ण रूप से खरा नहीं उतर सकता फिर ऐसे में किसी व्यक्ति से संपूर्ण रुप से आदर्श व्यक्ति होने की अपेक्षा रखना बेमानी होता है.। राष्ट्र निर्माण में जिन शिक्षकों की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण होती है और नवोदित बालकों को प्राथमिक शिक्षा से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक एवं राजनेता बनाते तक शिक्षक इन्का दिग्दर्शन करते हैं को केवल एक दिन सम्मान देकर भूल जाना कतई उचित नहीं है. वैसे शिक्षक दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 5 अक्टूबर को मनाया जाता है और इसकी शुरुआत 1994 में यूनेस्को में की गई थी अमेरिका ,चीन ,इजराइल एवं अन्य यूरोपीय देशों में शिक्षक दिवस अलग-अलग दिवसों में मनाया जाता हैl शिक्षक और शिक्षा एवं ज्ञान का बुनियादी स्वरूप किसी भी राष्ट्र की शक्ति एवं विकास का आधार स्तंभ होते हैंl किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए शिक्षा और शिक्षकों के महत्व को आत्मसात करते हुए शिक्षा के कार्य को सभी कार्यों से श्रेष्ठ समझ कर उसे सर्व कालीन सम्मान दिया जाना चाहिए ,जबकि विकासशील देशों में भारत सहित शिक्षकों को वह स्थान नहीं दिया जा रहा है जिसके वह मूल हकदार हैं उन्हें उचित वेतनमान एवं आर्थिक सहायता भी उच्च स्तर की प्राप्त होनी चाहिए जिससे वह अपना शत-प्रतिशत छात्रों को समर्पित कर सकेंl यूरोपीय देशों में शिक्षकों के महत्व को दर्शाते हुए वहां उनका वेतन डॉक्टर, इंजीनियर, एवं अन्य प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों से अधिक प्रदान किया जाता है जिससे शिक्षक अपने परिवार और आने वाली पीढ़ी के लिए समुचित आर्थिक व्यवस्था कर सके. पर भारतीय परिपेक्ष में प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षकों को न्यूनतम वेतन में संविदा नियुक्ति पर रख उनका अवमूल्यन कर दिया गया है। उनको सम्मानीय शिक्षक का पद ना बोलते हुए शिक्षा कर्मी का पद दे दिया गया है जो कि न सिर्फ शिक्षक की गरिमा के विरुद्ध है बल्कि उनके सम्मान को भी ठेस पहुंचाती हैl शिक्षकों के लिए 5 सितंबर का दिवस मना कर हम इतिश्री कर लेते हैं जबकि एक आदर्श शिक्षक से उम्मीद करते हैं कि वह वह प्रशासनिक तौर पर कक्षा में आशावादी दृष्टिकोण रखने वाला एक विद्वान व्यक्ति हो, मनोविज्ञान का ज्ञान भी उसे सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप विनोदी स्वभाव के साथ हो, दूरदर्शिता एवं मिलनसार सद्गुण उसके गुणों में समाहित होना चाहिएl यदि इस तरह आप संपूर्ण रुप से शिक्षित, परिपक्व एवं अनुशासन प्रिय ,ईमानदार व्यक्ति को किसी की शिक्षा में नियुक्त करते हैं तो उसे उचित सम्मान उचित आर्थिक धनराशि एवं समाज में उचित स्थान देने की आवश्यकता होगीl गुरुदेव रविंद्र नाथ ठाकुर, चाणक्य ,सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में माने जाते हैं .डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन 40 वर्षों तक शिक्षक की कार्य किया एवं 10 वर्षों तक देश के उपराष्ट्रपति रह कर फिर राष्ट्रपति बनेl किसी भी शिक्षक को सम्मान एवं समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिया जाना चाहिए तब जाकर किसी भी देश समाज और व्यक्ति के लिए समर्पित होकर शिक्षक अपना संपूर्ण निछावर कर सकता हैl शिक्षक दिवस का आयोजन तभी सार्थक एवं सफल हो सकता है शिक्षकों को अपने दायित्व का ज्ञान हो तथा विद्यार्थियों एवं उनके वालों को शिक्षकों के महत्व को सम्मान देने की आदत होनी चाहिए. शिक्षक दिवस शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए एक संकल्प लेने का दिवस होता है ताकि संपूर्ण इमानदारी के साथ शिक्षक एवं छात्र मिलकर अपने राष्ट्र को उन्नति के पथ पर ले जाकर एक महान राष्ट्र का निर्माण करना चाहिए और हमें देश के वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक सर्वकालिक महान शिक्षकों का अनुसरण कर समाज का दिग्दर्शन करना चाहिएl
संजीव ठाकुर,