मेजर अविनाश सिंह भदौरिया कीर्ति चक्र, (मरणोपरान्त)

28 सितंबर 2001 को, खुफिया सूत्रों ने डोडा जिले में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों की उपस्थिति के बारे में 8 राष्ट्रीय राइफल्स को जानकारी दी । स्थिति की गंभीरता और संभावित खतरे को देखते हुए 8 राष्ट्रीय राइफल्स ने एक खोजी अभियान को शुरू करने का निर्णय लिया और इसके नेतृत्व की जिम्मेदारी मेजर अविनाश सिंह भदौरिया को सौंपी गयी । उन्होंने उस क्षेत्र की बनावट, उपलब्ध खुफिया जानकारी का आकलन किया और उसके अनुरूप एक सामरिक योजना तैयार की । तैयार योजना के अनुसार अपने सैनिकों को लेकर वह संदिग्ध ठिकाने की तरफ बढ़े और क्षेत्र को इस तरह से घेरे में ले लिया ।
लगभग 0930 बजे जंगल में पत्थरों के पीछे से उनके दल पर भारी फायरिंग होने लगी। उन्होंने तुरंत अपने एक कॉलम को आतंकवादियों पर जबाबी कार्यवाही के लिए तैनात किया और साथ ही दूसरे कॉलम का नेतृत्व करते हुए दूसरी ओर से बोल्डर की ओर ले गए । भारी गोलीबारी के बीच उन्होंने अपने साथी सैनिक को कवर करने के लिए कहा, और स्वयं चुपके से एक किनारे से रेंगते हुए आगे बढ़े और नजदीक पहुँचकर एक आतंकवादी को मार गिराया। जब वह पहले आतंकवादी को निशाने पर ले रहे थे तब पास में छिपे एक अन्य आतंकवादी ने उन्हें पीछे से गोली मार दी, जिससे उनके दाहिने कंधे में चोट लग गई। घायल होने के बावजूद उन्होंने पलट कर फायरिंग करने वाले आतंकवादी को आमने – सामने मुठभेड़ में मार गिराया।
मेजर अविनाश सिंह भदौरिया की साहसिक कार्यवाही के परिणामस्वरूप दो खूंखार आतंकवादी मारे गए और बड़ी मात्रा में हथियार, गोला बारूद और अन्य भंडार बरामद किया गया। हालांकि घाव गहरा होने और ज्यादा रक्तस्राव होने के कारण अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही भारत माता का यह अमर सपूत चिर निद्रा में लीन हो गया।
मेजर अविनाश सिंह भदौरिया ने आतंकवादियों से लड़ने में असाधारण वीरता, अनुकरणीय पहल , उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया और सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी इस असाधारण वीरता और साहस के लिए उन्हें 28 सितम्बर 2001 को मरणोपरान्त “कीर्ति चक्र” से सम्मानित किया गया। मेजर अविनाश सिंह भदौरिया खुफिया जानकारी एकत्रित करने, योजना बनाने और संचालन के समन्वय में माहिर थे। इस ऑपरेशन से पहले भी उन्होंने कई ऑपरेशन को अंजाम तक पहुँचाया था जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में आतंकवादियों का सफाया हुआ।
मेजर अविनाश सिंह भदौरिया की वीरता और बलिदान की याद में कानपुर के नंद लाल चौराहे पर नगर निगम, कानपुर द्वारा उनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है तथा गोविन्द नगर के एच ब्लाक में उनके नाम पर एक पार्क का निर्माण किया गया है।
मेजर अविनाश सिंह भदौरिया का जन्म 14 सितम्बर 1971 को जनपद कानपुर नगर के गोविन्दपुरी में श्रीमती अरूणा भदौरिया और श्री गंगा सिंह भदौरिया के यहां हुआ था। इन्होंने अपनी हाईस्कूल की शिक्षा सेठ आनंद राव जयपुरिया पब्लिक स्कूल, कानपुर तथा इन्टरमीडिएट की शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय, अर्मापुर, कानपुर से पूरी की। 14 जून 1994 को भारतीय सेना की मद्रास रेजिमेंट में कमीशन लिया और 18 मद्रास रेजिमेंट में पदस्थ हुए। बाद में इनकी अस्थायी तैनाती 8 राष्ट्रीय राइफल्स में हुई। मेजर अविनाश सिंह भदौरिया के परिवार में उनकी माता श्रीमती अरूणा भदौरिया , उनकी वीरांगना कैप्टेन शालिनी सिंह भदौरिया , बेटा ध्रुव तथा भाई अमित सिंह हैं । इनके पिता श्री गंगा सिंह भदौरिया का देहांत हो चुका है ।
– हरी राम यादव
सूबेदार मेजर (आनरेरी)
अयोध्या/ लखनऊ