हिन्दी अंकों की अपेक्षा क्यों ?
मुझे मतगणना में माइक्रो आब्जर्वर पद पर सेवाएं प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सभी दस्तावेजों पर अंग्रेजी अंक लिखने की अनिवार्यता ने मुझे झकझोर कर रख दिया। ज़मीनी स्तर पर हिन्दी अंकों का आंगन सजाना बहुत जरूरी है। राजभाषा हिन्दी हित हेतु विद्यार्थियों के मानस-क्षेत्र में हिन्दी अंकों का पौधारोपण आवश्यक है। भाषा और भाव से ही भव का सृजन होता है।
नजरों को बदलो, नज़ारे बदल जाएंगे ।
वक्त आने पर चांद-सितारे बदल जाएंगे।। – सावन
हमें व्यवहारिक जीवन में हिन्दी अंक ०,१,२,३,४,५,६,७,८ और ९ लिखने का अहर्निश अभ्यास करते रहना चाहिए। प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र ‘आज’ जो वर्ष १९२० ई. से अनवरत प्रकाशित हो रहा है, वह आज भी हिन्दी अंकों को विशेष सम्मान प्रदान कर प्रकाशित करता है। समस्त संपादकों एवं प्रकाशकों को भी अपने समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं में हिन्दी अंकों को विशेष महत्व देना चाहिए। हम चाह कर भी हिन्दी अंकों का सहारा लेकर न फोन कर पाते हैं और न ही ईमेल आईडी बना पाते हैं। हिन्दी अंकों के प्रयोग की दृष्टि से सभी सॉफ्टवेयर में सुधार की आवश्यकता है। पासवर्ड बनाते वक्त भी हिन्दी अंकों का प्रयोग अनिवार्य होना चाहिए। आम आदमी के जीवन में भी हिन्दी अंकों का खास स्थान होना चाहिए। समस्त निजी एवं सरकारी दस्तावेजों पर हिन्दी अंकों की अनिवार्यता अत्यावश्यक है। महत्व देने से महत्व बढ़ता है। आज हिन्दी अंक विलुप्त से हो गए हैं। इसका जिम्मेदार हम और आप हैं। हम सुधरेंगे तो हमारा समाज सुधरेगा। समाज सुधरेगा तो राष्ट्र सुधरेगा और एक दिन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हिन्दी अंकों को सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा। आइए, हम हिन्दी अंकों को लिखना और सीखना स्वयं से शुरू करें।
सुनील चौरसिया ‘सावन’