पॉलिथीन पर प्रतिबंध का दिखावा: फैक्ट्रियों पर चुप्पी, छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई

कानपुर नगर उपदेश टाइम्स
नगर निगम और प्रशासन द्वारा पॉलिथीन पर प्रतिबंध के दावे लगातार किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत इसके उलट है। नगर में चोरी-छिपे पॉलिथीन बनाने वाली फैक्ट्रियां अब भी सक्रिय हैं। इन पर न तो कोई छापेमारी हो रही है और न ही सख्त कार्रवाई, जिससे साफ है कि पॉलिथीन पर प्रतिबंध सिर्फ कागज़ों तक सीमित है। स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का कहना है कि नगर निगम की टीमें कार्रवाई के नाम पर केवल छोटे दुकानदारों को निशाना बना रही हैं। फुटपाथों पर बैठकर अपना रोजगार चलाने वालों से जबरन चालान वसूले जाते हैं, जबकि शहर के अंदरूनी इलाकों में चल रही अवैध फैक्ट्रियों को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
सवाल यह उठता है कि जब पॉलिथीन बन ही नहीं रही, तो बाजारों में खुलेआम बिक कैसे रही है? इसका सीधा संकेत यही है कि निर्माण और आपूर्ति पर नजर रखने की बजाय नगर निगम केवल दिखावटी कार्रवाई कर रहा है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण प्रेमियों ने नगर निगम से मांग की है कि वह वास्तविक स्रोतों पर कार्रवाई करे, न कि छोटे दुकानदारों और ठेले वालों पर। यदि प्रशासन सच में पॉलिथीन पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाना चाहता है, तो उसे उत्पादन केंद्रों को बंद कराना होगा, न कि केवल ग्राहकों और विक्रेताओं को परेशान करना। जनता का यह भी आरोप है कि कुछ फैक्ट्रियां मिलीभगत के चलते कार्रवाई से बच निकलती हैं, जिससे पूरे अभियान की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना होगा कि नगर निगम इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वाकई पॉलिथीन पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करता है या फिर यह अभियान महज औपचारिकता बनकर रह जाएगा।