बड़ा होने के लिए कोई बड़ा काम करना पड़ता है–शादाब
एक बी ग्रेड स्तर के अभिनेता हैं. उन्होंने विगत चुनावों में चुनाव लड़ लिया। उनके इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोवर्स हैं लेकिन उन्हें चुनाव में मिले मत हज़ार के आंकड़े को भी टच नहीं कर पाए। उन्हें इतने वोट मिले जिससे दुगने वोट किसी ग्राम पंचायत में मुहल्ले के छोरे को मिल जाते हैं। इस ख़बर को अनेक पोर्टल पर लिखा गया जहां लिखने वालों ने रस लेकर इस ख़बर को लिखा।
कुछ विषय ऐसे हैं जहां कोई भी मुंह उठाकर कूद पड़ता है जैसे धर्मशाला खुली हुई है। जैसे एक विषय यह है कि धर्म के मुद्दे पर हर आदमी बहस करने कूद पड़ता है जबकि उन्होंने कोई गीता कोई कुरआन नहीं पढ़ा है। इस ही तरह चुनाव भी कुछ ऐसा ही विषय है जहां कोई भी गया बीता मुंह उठाकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर देता है और वह चुनाव लड़ भी डालता है। अरविंद केजरीवाल के बाद तो यह रिवायत आम सी ही हो गयी।
जिस अभिनेता ने चुनाव लड़ा उसके इंस्टाग्राम पर फॉलोवर्स थे लेकिन उस असेंबली में नहीं थे जहां से उसने चुनाव लड़ा था. जितने थे उन्होंने उसे वोट दे दिए। उस व्यक्ति को चुनाव भी इंस्टाग्राम पर ही लड़ना चाहिये था न कि असेंबली में। उस बेचारे ने असेंबली से चुनाव लड़कर भूल कर दी।
किसी भी व्यक्ति को जीवन में बड़ा और छोटा होने के लिए कोई नोटेबल काम करना होता है तब उसका कद बढ़ता है लेकिन सोशल साइट्स ने ऐसी भांग घोली है जिसे पीकर हर व्यक्ति बगैर कोई नोटेबल काम किये स्वयंभू महान हो जाता है। मेरा एक देखा हुआ व्यक्ति है. वह दो कौड़ी का पत्रकार है जिसकी ख़बर ठेला चालक भी मुश्किल से पढ़ते होंगे लेकिन वह कुछ दावतों का आयोजन कर ऐसा सिरमौर हो गया है जिसके आगे राजेन्द्र यादव और राहुल बारपुते छोटे पड़ जाए। ऐसा ही सोशल साइट्स पर भी होता है। अधिकांश जनता के ऊपरी माले में कम सीमेंट होती है। वह व्यक्ति के नोटेबल काम को नहीं देखते हैं, केवल उसके फॉलोवर्स देखते हैं।
चुनाव लड़ना वास्तव में एक कलाकारी और हुनर है। यह हर व्यक्ति के बस का नहीं है। यह ऐसा ही है जैसे एक कारीगर किसी बंगले को तैयार करता है, एक एक ईंट को चुनता है। दुनिया के सारे काम इस ही तरह है भले गड्ढे खोदने का काम क्यों न हो। एक नेता वही है जो किसी चुनाव में विजय हो या सामने वाले को टक्कर दे जाए, यह बहुत मेहनत का काम है। राजनीति सोने से घड़ावन महंगा वाला काम है। किसी एक मुहल्ले के लोगों को अपना वोटर बना लेना कोई साधारण काम नहीं है, अच्छे अच्छे दिग्गज इस काम में नाक रगड़ देते हैं। राजनीति में इंट्री आसान है कोई भी चुनाव लड़ सकता है, कुछ दो चार योग्यता ही तो चाहिए होती है। इसलिए हर आदमी मुंह उठाकर चला आता है, कोई मूंगफली वाला चुनाव लड़ लेता है कोई नंगा पुंगा चुनाव में कूद पड़ता है लेकिन इन लोगों के आ जाने से कोई चुनाव जीतना आसान नहीं हो जाता है। वह वास्तव में इतनी ही टेढ़ी खीर होती है।
सोशल साइट्स हवा में उड़ाती है और मृगमरीचिका पैदा करती है। जहां आदमी कुछ नहीं होता है लेकिन उसे ऐसा लगने लगता है कि अब बस मैं तो उड़ चला। आदमी कुछ ऐसा ही उड़ता है जैसे कोई नशे में उड़ रहा होता है वास्तव में वह नाली में पड़ा होता है।
जीवन के किसी भी क्षेत्र में बड़ा और छोटा व्यक्ति वही होता है जिसने कोई नोटेबल काम किया हो। अगर अभिनेता हो तो कोई प्रसिद्ध किरदार अदा किया हो जिस फ़िल्म में करोड़ों कमाये हो और नेता हो तो वह हो जिसने कई चुनाव जीते और जिताये हो। बड़ा होने के लिए कोई काम करना पड़ता है तब ही बड़े होते हैं मूर्ख बनाने से आप बड़े नहीं होते हैं।

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