आई एम ए सी जी पी ने 42 वें रिफ्रेशर कोर्स के पहले दिन आयोजित किया पांच व्याख्यान

कानपुर नगर उपदेश टाइम्स
आज दिनांक 11 अप्रैल 2025 दिन शुक्रवार को आई.एम.ए. सी.जी.पी. कानपुर सब फैकल्टी के 42वें रिफ्रेशर कोर्स 2025 के प्रथम दिन 5 व्याख्यान आयोजित किए गए।
इसके प्रथम सत्र में वक्ता डॉ राहुल गौतम, कानपुर ने ” significance of Faecel Calprotectin test in IBD Diagnosis” विषय पर अपना व्याख्यान दिया इस सत्र के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ उमेश पालीवाल थे। द्वितीय सत्र में वक्ता डॉ रश्मि कपूर, रीजेंसी हॉस्पिटल, कानपुर ने “Role of flexible Bronchoscopy in paediatric practice” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। इस सत्र के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ राजीव कक्कड़ थे। तृतीय सत्र में वक्ता डॉ अवधेश कुमार शर्मा, एल पी एस कार्डियोलॉजी, कानपुर ने “Heart Failure-Approach & Management” विषय पर अपना व्याख्यान दिया। इस सत्र के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ उमेश्वर पांडे थे।
चतुर्थ सत्र में वक्ता डॉ संदीप गौतम, एल पी एस कार्डियोलॉजी ने “Mitral valve Disease – when and how to intervene: Our Institute’s Experience” विषय पर अपने व्याख्यान दिया। इस सत्र के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ राकेश वर्मा थे।
एवं पांचवें सत्र में डॉ नारायण प्रसाद एसजीपीजीआई, लखनऊ ने Predictiom of non- diabetic kidney disease in patients of Diabetes” विषय पर अपने व्याख्यान दिए इस सत्र के प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ युवराज गुलाटी थे।
वक्ताओं ने बताया कि संलग्न –
पत्रकार वार्ता में आईएमए कानपुर की अध्यक्ष डॉ नंदिनी रस्तोगी, डॉ शालिनी मोहन सहायक निदेशक आई.एम.ए. सी.जी.पी. कानपुर सब फैकल्टी, आईएमए सचिव डॉ विकास मिश्रा, डॉ एस के गौतम, सहायक सचिव, आई.एम.ए. सी.जी.पी. कानपुर सब फैकल्टी, डॉ दीपक श्रीवास्तव सहायक वित्त सचिव, डॉ गणेश शंकर वैज्ञानिक सचिव आई एम ए कानपुर, डॉ कुणाल सहाय, डॉ अनीता गौतम प्रोग्राम कॉर्डिनेटर, एवं डॉ गौरव मिश्रा, मीडिया प्रभारी ने अपने अनुभव साझा किये। इसके साथ ही हाथों में सूजन एवं डायरिया की आधुनिक जांचों पर व्याख्यान दिया गया। बताया गया कि क्रॉनिक डायरिया को चार सप्ताह से अधिक समय तक बने रहने वाली डायरिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है यह विभिन्न प्रकार की सूजन के कारण हो सकता है जैसे कोश रोग अल्सरेटिव कोलाइटिस क्लोस्ट्रीडियम जैसे संक्रामक इस बीमारी के कारण होते हैं। एंटी टी टी जी 91% संवेदनशीलता के साथ सीलिएक रोग के निदान में उपयोगी है।