पंजाब एक गंभीर समस्या की ओर बढ़ रहा है — सीमा पासी

चंद्रशेखर एक दलित नेता हैं लेकिन दलितों के नेता नहीं हैं। एक सांसद बन जाने पर खुद को देश का नेता समझने लगे हैं। दलित और पिछड़े नेताओं की सबसे बड़ी समस्या यही है कि बहुत जल्दी इन्हें बड़े नेता बन जाने की गलतफहमी पैदा हो जाती है और बिना सोचे समझे हर मामले में टांग अड़ाने पहुँच जाते हैं। दलित मुद्दों की क्या कमी हो गई है कि उन्हें dallewal की चिंता हो गई है। ये किसान नेता अपनी जिद्द में मरने को तैयार है और किसान संगठन चाहते हैं कि ये अनशन के दौरान मर जाये ताकि मोदी सरकार को घेरा जा सके । पंजाब के किसानों की मांगे ऐसी हैं कि कोई भी सरकार उन्हें पूरा नहीं कर सकती ।
अगर ये मांगे सही होती तो देश का किसान भी इनके साथ खड़ा हो जाता लेकिन देश का किसान इस आंदोलन से दूर है। जिस आंदोलन से देश का किसान दूर है उसे किसानों का आंदोलन नहीं कहा जा सकता. ये सिर्फ दो छोटे किसान संगठनो का आंदोलन है जिनका पंजाब के कुछ जिलों में थोड़ा सा प्रभाव है । इस आंदोलन की आड़ में ये संगठन खुद को बड़ा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या किसान सिर्फ पंजाब में हैं, बाकी राज्यो में कौन है जो खेती कर रहे हैं। क्या सारी समस्याएं पंजाब के किसानों को है दूसरे राज्यों के किसानो की समस्याएं क्या खत्म हो गई हैं।
पंजाब एक गंभीर समस्या की ओर बढ़ रहा है जिससे उसकी बर्बादी तय है लेकिन दूसरे राज्यों के किसान इस समस्या से दूर है और धीरे धीरे हालात सुधर रहे हैं।
पंजाब को विचार करने की जरूरत है कि क्यों और कैसे वो देश के पहले राज्य से बीसवें नंबर पर पहुँच गया है । मोदी सरकार पंजाब के किसानों की जिद्द के आगे झुककर पूरे देश को बर्बाद नहीं कर सकती । जहां तक किसानों से बात करने का मुद्दा है तो आंदोलन शुरू होने से पहले ही मोदी सरकार के दो बड़े मंत्री कई बार इन किसानों से बात करके आये थे और इनकी जायज मांगे मान ली गयी थी लेकिन ये आंदोलन की जिद्द पर अड़े रहे और अब मोदी सरकार को बात करने के लिए कह रहे हैं। ये अच्छी बात है कि मोदी सरकार इनकी नाजायज मांगो के सामने झुकने को तैयार नहीं है।
चंद्रशेखर या कोई और भी व्यक्ति बता सकता है कि क्या देश के 50 करोड़ किसानों को दस हजार रुपये महीना पेंशन दी जा सकती है. अगर किसानों को दी जा सकती है तो मजदूरों को क्यों नहीं देनी चाहिए और दूसरे छोटे कर्मचारियों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए। इस तरह से कोई बताए कि देश के सौ करोड़ लोगों को पेंशन देने के लिए पैसा कहां से आएगा। अगर अमेरिका भी अपना पूरा बजट भारत को दे दे तो भी ये संभव नहीं है । जब एक मांग ही पूरी नहीं की जा सकती तो दूसरी दर्जनों मांगो को कैसे पूरा किया जाएगा।