भाजपा ने कांग्रेस पर सबसे गंभीर हमला किया है — राजेश कुमार पासी
कांग्रेस के लिए बहुत संभल कर चलने का समय आ गया है । कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा पर हमेशा हमलावर रहते हैं । देखा जाए तो एक विपक्षी नेता के लिए ये स्वाभाविक भी है लेकिन उनके हमलों के साथ तथ्य और तर्क नहीं होते हैं । यही कारण है कि उनके हमलों का वो असर नहीं होता जो एक विपक्ष के नेता के हमलों का होना चाहिए। लोकसभा चुनावों में उनका संविधान बचाने और आरक्षण खत्म करने का विमर्श कुछ हद तक कामयाब रहा है । उनके चलाये गए इस विमर्श का नतीजा हमें यूपी,महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा में भाजपा को लोकसभा की सीटें कम मिलने पर देखने को मिला है ।
इस बार के शीतकालीन संसद सत्र में राहुल गांधी के निर्देश पर विपक्ष ने भाजपा पर अडानी के मुद्दे पर फिर हमला शुरू कर दिया है। राहुल गांधी पिछले कई सालों से अडानी का मुद्दा उठा रहे हैं लेकिन इसका कोई फायदा कांग्रेस को मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। इस बार तो अडानी को घेरने के चक्कर में उन्होंने अपने पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के दूसरे मुख्यमंत्रियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक अमेरिकी जिला अदालत में अडानी की कंपनी के खिलाफ भारत में रिश्वत देने का मामला दर्ज किया गया है। राहुल गांधी ने बिना यह समझे कि किन लोगों पर यह रिश्वत लेने का आरोप है, अडानी पर हमला कर दिया है। अब सवाल उठता है कि रिश्वत देने वाले तो गौतम अडानी हैं लेकिन रिश्वत लेने वाले कौन हैं।
रिश्वत लेने के पहले आरोपी हैं, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, दूसरे हैं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, तीसरे हैं, आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और चौथे हैं उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक। दूसरी बात यह है कि आरोप सीधे किसी मुख्यमंत्री पर न लगाकर उनकी सरकार पर लगाया गया है और कहा गया है कि अधिकारियों को रिश्वत दी गई है। देखा जाये तो रिश्वत लेने वाले विपक्षी नेता हैं और रिश्वत देने वाला एक भारतीय उद्योगपति है तो भाजपा को कैसे इस मामले में घसीटा जा सकता है । राहुल गांधी की ऐसी ही नासमझी भरी राजनीतिक चालों से कांग्रेस रसातल की ओर जा रही है । राहुल गांधी के ऐसे ही बयानों के कारण भाजपा को उनका मजाक उड़ाने का मौका मिल जाता है और उनकी राजनीतिक समझ पर सवाल उठ जाता है ।
पिछले कई सालों से देखने में आ रहा है कि संसद सत्र शुरू होने से पहले किसी विदेशी अखबार या विदेशी एजेंसी की ऐसी रिपोर्ट आ जाती है जिसको मुद्दा बनाकर कांग्रेस संसद सत्र को बर्बाद कर देती है । देखा जाये तो संसदीय लोकतंत्र में संसद सत्र में विपक्ष के पास सरकार को घेरने का मौका होता है । विपक्ष संसद में सरकार से कोई भी सवाल पूछ सकता है और उसको जवाब देने के लिए मजबूर कर सकता है लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष संसदीय कार्यवाही ठप्प करने को अपनी कामयाबी मान रहा है । अब इस मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस को सुनियोजित तरीके से घेरना शुरू कर दिया है । राज्यसभा में भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि वो संसद सत्र के समय देश की छवि बिगाड़ने की कोशिश करते हैं । लोकसभा में निशिकांत दुबे के बयान राज्यसभा में सुधांशु त्रिवेदी के बयान और इसके बाद संबित पात्रा द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस से कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है।
भाजपा ने बेहद सुनियोजित तरीके से राहुल गांधी पर संगठित हमला किया है। कांग्रेस को इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है। इस हमले से राहुल गांधी को देशद्रोही साबित करने की कोशिश की गई है । राहुल गांधी पर जिस तरह से तीन नेताओं ने अलग-अलग मंचो से हमला किया है उससे लगता है कि भाजपा द्वारा शीर्ष स्तर पर योजना बनाकर ये हमला किया गया है। इसके पीछे मोदी सरकार की सोची समझी रणनीति है जिसमें भाजपा ने देश की जनता की नजरों में राहुल गांधी की छवि एक देशद्रोही नेता की बनाने की कोशिश की है । इन नेताओं ने अपने अलग-अलग बयानों से एक साथ हमला करके यह साबित करने की कोशिश की है कि राहुल गांधी देश के दुश्मनों से मिले हुए हैं । जब संसद में भाजपा नेता निशिकांत दुबे और सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी पर देशद्रोही होने का आरोप लगाया तो कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने बयान दिया कि इन नेताओं ने आरोप संसद में लगाया है. अगर यह आरोप बाहर लगाये गये होते वो इन नेताओं पर मानहानि का मुकदमा दायर कर देते । इसके बाद भाजपा नेता संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस करके यह आरोप लगा दिया तो कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है ।
वास्तव में जिन आरोपों के आधार पर राहुल गांधी को देशद्रोही बताया गया है, अगर कांग्रेस उन्हें लेकर अदालत जाती है तो कांग्रेस के लिए समस्या खड़ी हो सकती है क्योंकि इन आरोपों के साथ तथ्य और तर्क दिये गये हैं जिनको झुठलाना आसान नहीं होगा । यह आरोप सही है कि जब संसद सत्र चल रहा होता है या शुरू होने वाला होता है तो अचानक भारत विरोधी रिपोर्ट आ जाती है और राहुल गांधी उसे लपक लेते हैं । राहुल गांधी देश विरोधी रिपोर्ट पर विश्वास करते हुए संसद सत्र को बर्बाद करने की कोशिश करते हैं । भाजपा सांसदों का यह कहना सही है कि पैगासस, हिंडनबर्ग, किसान आंदोलन से संबंधित और गुजरात दंगों के बारे में भी रिपोर्ट ऐसे समय में आई है । इस बार भी अडानी का मामला भी ऐसा ही है । भाजपा नेता इसे संयोग मानने को तैयार नहीं है बल्कि इसे एक साजिश बता रहे हैं और राहुल गांधी को इस साजिश का हिस्सा बताने की कोशिश की जा रही हैं।

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